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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं०८१
भव्य में
!(२) नियंच गति में
सारे मंय १ मंग २५ का भंग २१-२४-२६-१० के भंग कोनं.१७ देखो कोन०१७ देखो को नं.१६ के ममान । को.नं. १७के २४
(२) नियंच गनि में सारे भंग । १ भंग
२३-२५-२६-२६ के भंग को० नं. १७ देखो कोनं०१७ देखो भंग में मे १ प्रभव्य
को० नं०१० के २१घटाकर २३-२४-२६
२५-२३-२७ के हरेक के भंग जानना
मंग में से १ अभय घटा२९-३०-३२-२६ के भंग
कर २३-२४-२९-२६ । को नं०१७के ममान ,
के भंग जानना जानना
२२-२३-२५-२५ के भंग २६ का भंग को नं. १
को.नं.१७ के समान । के २७ के भंग में मे मभव्य
भोग भूमि में घटाकर २ का भी जानन
२३ का भंग को० नं. २५.२६-२६ के अंग
१७ के २८ के भंग में में को० नं १७के समान
प्रभव्य घटाकर २३ । (3) मनुष्य गनि में
सारे भंग । १ भंग | का मंग जानना ३. का भम कोन. १८को० नं. १८ देखो कोनं १५ देखो २२-२५ के भंग के ३१ के भंग में से प्रभव्य
' को नं०१७के ममान । पटाकर ३० का भंग जानना!
(३) मनुष्य गति में सारे भंग १ भंग २९-३०.३३-३०-३१
| २६ का भंग
को नं. १८ देखो कोनं १८ देखो २७-१-२९-२९-२८
को 10 के ३० २७-२२-२५-२४-२३.
के भंग में से १ भव्य •३-११-27-१४-१३ के
घटाकर ६ का मंग भंग को० नं०१८ के मम न
जानना जानना
२८-३०-08-१४ के भंग . २ का भंग को नं. १
को नं०१८ के ममान के २,के भंग में मे१
जानना प्रभए घटाकर २६ का
मोग भूमि में जानना
।२३ का मंग को.नं.