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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक :
अभव्य में
देखो
। देखो
१५ नेथ्या १ भंग १ लेन्या
। १ लेण्या कको नं०१ देखो | (१) नरक गति में
को० नं०१६ देखो को० नं. १६ (३१ मनुष्य गति में को० नं० १६ देखो । को० नं०१६ ३ का मंग-को० नं०१६
।३ का भंग-को० नं.
दम्बा देखो (२) तिर्पच पनि में १लेदया | (२) चि गति में
। १ लेण्या ३-६३ के भंग को० न०१७ देखो | को.नं.१७. ३-१ के मंग-को० न० को २०१७ देखो को न०१७ को.नं०१७ देखो
। देखो । -७ देखो
देखो (३) मनुष्य मति में
मारे भंग १ लेश्या (३) मनुप्य गति में मारे भम १ लेश्या ६-३ के अंग-कोर नवोन०१५ देखो| कोन.१५। ६-१ के भंग-को नका . नं०१८ देखो को.न.१८ १८ देखो
१८ देखो
देखो (४) देवगति में भंग १ लेश्या (४) देवमति में
१ भंग
नश्या १-३-१ के भंग को नं. १६ खो| को० १९३-३-१ वे अंग
नंदर देखो को नं. १६ को नं. १ देवी
को नं १६ देखो १६ भव्यत्व चारों गनियों में हरेक में
पर्याप्नवत् जानना १ अभव्य जानना १७मम्यन्व मिध्यान्द
चारों गलियों में हरेक मे। १ मिथ्यात्व जानना
को नं०१६ से १६ दबी १८ मंग
: मज्ञी, प्रमंत्री (3) नरक-मनुष्य-देवर्मा में को. नं. १६. को० नं०१६- (१)मक मनुष्य-देवगनि नं :-14- कोल नं.१६ग्क में १८-१६ दखों - देखो। हरेक
१६ देखो १:-१६ देग्यो १ मनी जानना
|१मजी जानना को०१६-१-१६
को० नं-१-१८-१: ।
| देखो नियंर गति में भंग , अवस्था । (२) नियंच गति में भग
व स्था १-१-१ के भंग-को.नं. को २०१७ देखो को.नं. १७१-१-१ केभंग को नं. ७ देखो | को.नं. १७ १७ देखो देखो को.नं. १७ देखो
देखो
१
। पर्याप्नवत जानना
जिन