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चौतोस स्थान दर्शन
कोष्टके नं
७
पीत लेख्या में
१२ ग्रान्त्र
४५.
कां• नं७१ देखो
के भंग-को० नं. १०खो ।
का० ना । (२) मनुप्यानति में
। सारे भंग १ वान (३) दंबगनिमें । मारे भंग भंग ८१-१०-११-७-४-८-६- चोन्नं०१८ देखो कोनं०१६ देखो - के मन 'कानं०१६ इसी कोन: १६ देखो १०के भंग
कांदनी । को नं १ देखी (2) देवनि में
' नारे भन । १ घ्यान E--१. के भंग को नं०१६ देखो कोदना डा० नं १६ देखो : सारे भंग १ भंग
सारे भंग १ मंग ant० मिथकाययोग १, अपने अपने स्थान के अपने पपने स्थान मनोयोग, वनयोग 6, अपने अपा म्यान के अपने अपने स्थान 4. मिश्रकाययोग १, !मारे भंग जागना के सारं भंगों में कारयोग , मारे भंग जनना के मारे भंगों में मा० मिनकाययोग, कोई भंग । कावान ।
वाई १ भंग नामारण काययोग । जानना !चा काला योग ।
जानना ये ४ वटाकर (५३)
गनक वेद, (१) नियंच गति में
सारे भंग । १ भंग । घटाकर (४५ ५१-४२-४२-३७-५-४५- कार नं० १७ देखो कोनं०१७ देखा (१) मनप्य गति में मारे भंग १ भंग 6. भंग
|४४-३६-३-१२ के भंम को न.१ दन्को होनं०१५ देखो को नं. १७ देखो
को००।- देखो (२) मनुप्य गति में सारे भंग १भी । (४) देवर्गात गे
भारे भन१ मंग ५-४६-४२-३७-२२-२०. को नं०१८ देशो कोनं. १८ दबा ४-३:- के भंगकीनं० १६ देखो कोनं०१९ देखो २३-५०-४५-४१ के मंग
कोनं.१६ देखो को० नं०१८ देखो (२) देवगति में
सार भंग
भंग ! ५.३-४५-४१ केभंग को.नं. १८ देखो बोनं०१६ देखो को नं.१६ देखो
।
सारं भंग
१ भंग
२३ माव
उपशम-क्षाविक सम्यक्त्व २.
| (तियच गति में
२६-२४-२५-२७ के भंग
को० नं १७ देखो कोल०१७ देखो कुवधि जान .
मनः पर्यय जान १.