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चौतीस स्थान दर्शन
काष्टक नं०७५
पद्म लेश्या में
पहां पंत संध्या के
जानना परन यहां हरेक । जगह पन लेश्या
भंग में पीत लेश्या की जगह जानना
पद्य नश्या जानना (४) दंवगति में भवननित्र देवों में कोई भंग नहीं होते कल्पवासी देवों में को ०७०के समान जानना परन्तु यहा हरेक ' भंग में से पीत-शुक्ल ये २ ।
लेण्या घटाकर मग जानना । २४ अवगाहना-को. नं०१७-१८-१६ देखो।
पंप प्रकृतियो-१११-फो००७७ के समान जानना । उदय प्रकृतियां-१० ॥ सरव प्रकृतियाँ-१४८ संक्या--प्रसंख्यान जानना । क्षेत्रलोक का प्रमख्यातवा भाग जानना । स्पर्धन-लोक का प्रसंख्यातवां मा ८ राजु जानना। को० नं० २६ देखो। काल-नाना जीवों की अपेक्षा सर्वकाल जानना । एक जीच की अपेक्षा अन्तर्मुहूर्त से दो अन्नपूर्ण पोर १८॥ मागर प्रमाण १२वे स्वयं की
पपेक्षा जानना। अन्तर-नाना जीवों को अपक्षा कोई पन्तर नहीं। एक जीव की पोदा अन्तर्मुहुर्त से प्रख्यात पुद्गन परावर्तन काल तक पत्र लेश्या न हो
सके। भाति (योनि)-२२ लाख जानना । को० नं. ७६ देखो। कुल-२३॥ लाख कोटिकृत जानना । को००७६ देखो .