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(१४७ ) कोष्टक नं० ७६
चातीस स्थान दर्शन
कापोत लेश्या में
मार भंग
१ मंग
२३ भाव
कोमा ७५ दंलो
कर्म भूमि की अपेक्षा को नं.७५ देखा
(२) तिर्यच गति में
सारे भंग ! भंग २७-३-६-४०-४:- को० नं०१७ देखो कोनं०१७ देखो ४४-१२-१३-१४-३५1८-३९-४३-३८-३३ ! के भंग कोनं०१७ देखो १३) मनुष्य गति में
सारे भंग । १भंग ४४-३६-३६-४३-८-- को.नं. १८ देखो को.नं.१८ देखो ३३ के भंग कोल्नं १५ दे। (४) देवगनि में
सारे भंग | 1३-' के भंग को. नं. १६ देखो कोनं १६ देखो को.नं. १६ देतो
| सारे भंग १ भंग (को० नं. देवों) । (१) नरक गति में | कोन०१६ देल्लो को नं. १६ देखो २.-३५ के भंग को० नं०१६ के २५
के हरेक भंग में मे कृष्ण-नीन ये२लन्या घटाकर २३-२५ के मंग जानना (२) नियंच गति में मारे भंग
भंग २२-२३-२५-२५-२०-को.नं. १७ देखो । को.नं. १७ देखो २१-२३-२३ के मंग । को० नं. १० के २6
५-२७-७-२०-२३२५-२५ के हरेक मंग | में से कपण-नील लेश्या ।