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चौतीस स्थान दर्शन
कोप्टक नं०७३
अवधि दर्शन में
हरेक मंग में में प्रचक्ष
का भंग जानना दर्शन, चक्षु दर्शन में २
' (२) नियंन गति में
भंग १ उपयोग घटाकर ४.४ के भंग ।
भोगभूमि की अपेक्षा को देखो , को.नं. १७ जानना
' का भंग पर्याप्तताद।
देखो (२)तियंच गति में
१ मंग १ उपयोग जानना ४.४ के भंग-को० नं. को० नं.१७ देतो को० नं.१७ । (३) मगप्प गति में मारे भंग १ उपयोग १७ के ६-६ केभंगों में में
देखा
१-४-५ के भंग-कोने कोनं १- देखो को० नं. १८ प्रचक्षु-दर्शन, चन-दर्शन ये
१८ के E-:-के हरेक ।
अग में में पर्याप्तवन २. जानना
दर्शन परार ४-४.४ | ४-४ के भंग-भोगभूमि में
के भंग जानना ऊपर के कर्मभूमि के समान
| (6) देवनि में | भंग १ उपयोग जानना
। ४.४ के भंग-बो० नं को नं. १६ देखो । को.नं. १३ ३) मनुप्य गति में
मारे भंग १ उपयोग ११कं ६-६ के मंगों में ४-४-५-४-५-४-४ के भंग को० न०१८ देखा| को० ने १८ पर्याप्तवन २ दर्शन को.नं. १ के ६-६-७
'देखो
घटाकर ४-६ के भंग । ६-७-६-६केहरेक अंग में
| जानना मे प्रचक्षु दर्शन, चनु दर्शन ये २ चटाकर ४-४-५-४
५-४.४ के भंग जानना (४) देवगति में
१ भंग |
उपयोग ४.४ के भंग-को न. ११ को नं०१९ देखो' कोलन०६९ के ६-६ के भंगों में में
देखो प्रचन दर्शन, चक्ष दर्शन
ये २ चटाकर-के भंग २१ घ्यान १४ मारे मंग । १ प्यान
सारे भंग
ध्यान को नं०७१ देखो।(१)मरक गति में
कोन०१६ देखो । को १६ । (१) मरक गति में को नं०१६ देखो कोनं०१६ देखो १-१० का भंग-को. नं
दम्रो |६ का अंग-को० नं. । १६ देखो
| 2: देखो