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चीतोस स्थान दर्शन
कोष्टक नं. ३
अवधि दर्शन में
४ प्रांगा
मंगभंग
१ भंग १ भंग कोन. १ देवो ।
चार्ग मतियों में हरेक में ! को न०१६ कोन.१५. गे वागेंगनिया में हरेक में को.नं-१६ में को.नं. १६ में १० बा भंग १६ देखा १ देखो का भंग
१६ देखा ! १६ देखो को० नं. १६ म १३ देखो
को नं०१६ मे १६ देखो ५ संजा
१ भंग १ भंग
४
१ भंग । भंग को न देवो १) नरक-नियंच-देव गनिमें को० नं०१६-१७-मग्न -११- (१) नरव नियंव-देवरनि' कोन०१६ मे कोन०१६ में हरेक में
१६ देखो
देगा मनुष्य गति में हरेक में ' १६ देखो । १६ देखो ४ का मंग
४ का भग को० नं०१६-१७-१६
को नं.१६ से १६ देखी देखो [( मनुष्य मनि में
मारे भंग
भंग ४-६-२-१-१-०- को नं० १८ देखो कोन-१- देखो ४ के मंग
को० नं. देखो ६ गनि
१ गति गनि को नए देखो । चारों गति जानना
चागें गति जानना ७ इन्द्रिय जानि पंचन्द्रिय जाति चारों मतियों में हरेक में
। चारों गनियों में हरेक में १ पंचन्द्रिय जाति जानना
१पंचन्द्रिय जाति जानना कोल्नं. १६ मे १६ देखो
कोनं १६ मे १६ देना काय जमनाय चारों गतियों में हरेक में
चागें गनियों में होक में | १ श्रमकाय जानना
१ अमवाय जानना को० नं० १६ मे १६ देखो
कोर नं०१६ से १६ देखो र योग । १ भंग योप
मंग । र योग को मं०२६ देखो मो० मिथकापयोग १,
ग्री मिश्रकायोग, वर मिथकाययोग:
वै मिश्रकाययोग, प्रा० मिथकाययोग १
प्रा. मिथकाययोग १, कार्मागा काययोग
कार्मागा काययोग १ ये ४ घटाकर (११)
। ये ४ोग जानना
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