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चौतीस स्थान दर्शन
१ |
१६ प्रहारक २० उपयोग
ज्ञानोपयोग ३ ददनीप योग ये जानना
२१ ध्यान
इष्ट वियोग घटाकर प्रातं ध्यान ३, धर्म ध्यान ४
ये ७ जानना
२२ ब्राम्रव
योग ९. कचाय ११ ये २ बानना
२३ भाव
२७
शायिक सम्यक्त्व १, जान ३, दर्शन, लब्धि ४, बेदक स० १, सरागसंयम १, मनुष्य गति १, रुषाय ४, पुरुषवेद १, शुभ लेखा है, मजान १, प्रसिद्धत्व १ जीवत्व १. भव्यत्व १, ये २७ भाव जानना
३
१ माहारक जानना
S
६ का भंग को० नं०१६ के ७ के भंग में से मनः परं ज्ञान १ घटाकर ६ का भंग जानना
(१) मनुष्य गति में
७ ४ के भंग
को ० ० १८ देखो
(१) मनुष्य गति में
२०-२० के मंग
( ४८१ I कोप्टक नं० ६७
को० नं० १० के २२-२२ भंगों में से स्त्री नपुंसक वेद येर हरेक में घटाकर २०.२० के मंग जानना
२७ सामान्य के समान जानना २७ का भंग को नं० १० के ३१ के भंग में मे उपशम सम्यक्त्व १ स्त्री नपुंसक वेद मनः पर्यय ज्ञान १ ये ४ घटाकर २७ का मंग जानना
सारे भंग को० नं० १० देखो
भंग
को० नं० १० देखी
मारे भंग
| कोन० १= देखो
परिहार विवृद्धि संयम में
६-उन्न
५.
१ ध्यान को० नं० १८ देखो
१ भंग
को० नं० १८ देखी I
१ भंग ! [को० नं०] १८ देम्ब