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कोष्टक नं०७१
अचक्षु दर्शन में
चौंतीस स्थान दर्शन ऋ० स्थान सामान्य बालाग पर्याप्त
अपर्याप्त जीव के नाना समय में
'एक जोध के नाना एक जीव के एकः |
समय में समय में | नाना जीवों को अपेक्षा
नाना जीव की अपेक्षा
एक जीव के एक समय में
NC
१४
। गुग पान १२
| सारे गुमा. गुग्म.
सारे गुगा स्वान | १ गुगा. १ म १० तक के गुण. (१) नरक गति में
अपन अपने स्थान के अपने प्रपन्न स्थान। (१) नरक गति में अपने अपने स्थान वपन अपने स्थान मे ४ गुगा । सारे गुगा म्बान के सारे गुण में न ४थे । सारे गुण म्बान के सारे गुग में १) निवन गति म
जानना से कोई १ गुरण ! (२) तियं च गति में जानना में कोई १ मुण १ गनुग
१-२ मुरा०
जानना भोग भूमि में
भोग भूमि में
१-२-४ 11) मनुष्य गति में
(३) मनुष्य गति में ! भीम भूमि में
| मांग भूमि में १ से. (४) देव शनि में
(४) देवनि में १ से १४/ ७पर्याप्त अवस्था । १ समास १ समास । ७ अपर्याप्त अवस्था । १ ममाम १ समास को ना१दंता । (१) नरक-मनुष्यन्दवर्गान में कोनं०१६-१८- कोन०१६-१०- (:) नरक-मनुथ्य-देवगति को०म०१६-.-१९ कोन०१६-२८हरेक में । १६ खो देखो । म हरेक में
दंगा १६ देवी १ सजी पवेन्द्रिय पर्याप्त ।
१मजी पं. अपर्याप्त जानना
जानना को० न०१६.१८-१६
कोन. १६-१८-१६ दंगा
टेखो (२) निपन गति में ..मभाग
मनाम तिर्यच मनि में
१ममाम १समाग 5.१ के नम को न०१७ देखी कोल्नं०१७ देखी ७-६.१ के भम कान १७ देखा कीलन१७ दमा को ०१ देखा
को. नं. दवा