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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं०६१
अवधि ज्ञान में
२८ का भग को० नं०१८ के ३१ में भंग में से मति
घटाकर २८-२५-२३ श्रुत-मनः पर्यय जानने ३
के भंग जानना घटाकर २८ का भंग जानना
(४) देवगति में
सारे भंग
भंग २५ का भंग को नं०१८
२६-२४-२४ के भंग १७-१५-१७ के भंग हरेक भंग में से के २७ भंग में ये मति
को नं०१६ के २८- पर्याप्तवत कोई भंग थत ये २ जाम घटाकर
२६-२६ के हरे भंग में २५ का भंग जामा
रो पर्याप्तवन २ ज्ञान २५-२६-२६-२५-२४
घटाकर २६-२४.२० २३-०२०-२१.२०-२०-,
फभंग जानना १६-१७ के भंग कोनं-१८के ३१-२६-. २६-२८-२७-२६-२५२४-२३-२३.२१-२० के हक भंग में में मतिथुन-मन: पर्यय ज्ञान ये ३ ज्ञान घटाकर २५-२६२६-२५-२४-२३-२२२१-२०-२०-१-१७ के भंग जानना २७ का भग कोनं १८ के
२६. के भंग में से मात-श्रुत येनान घटाकर २७ का
मंग जानना (.)दंघरति में
सारे भंग २४-२७-२४-३ के भंग १-१-११-१३ हरेक मग में में। का नर के २६-२६- के मंगकोई भंग । २६-२५ के हरेक भंग में से को० नं. १६ देखो । कार के समान २ ज्ञान : घटाकर २४-२७-२४-३ के भंग जानना