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चीताम स्थान दर्शन
र
२० उपयोग
१६ श्राहारक बारव, अनाहारक
7
००१६ दे
३
(२) निर्मन गति में
१-१-१-१ के भग को० नं० १० देखी
१
मरक देव गतियों में हरेक में
१ आहारक जानना
को० नं० १६ १६ देवो
निर्दच मनुष्यगति में हरेक में
E
(१) नरक गति में
५-६-६ के भग को० नं० १६ देखो (=) निर्यच निमे
१-१ के मंग
को० नं० १७-१८ देखी |
४-६-६-५-६-६ के मंग को० नं० १८ देखी (४) देव गति में
१ मंग को० नं०७
1
५-६-६ के मंग को० नं० १६ देखो
( ४६. ५. '
कोष्टक नं० ६४
जटेक में
(२) तिच गति में १७१-१-१-१-१-१को भंग को० नं० १० दे
१ अवस्था कोनं
१
० १६ और को १६ और १६ देखो
देखो
मारे भंग क० नं०१८
२
नरक-देवगतियों में हरेक में
1
१-१ के अंग जानता को० नं० १६ और १६ देखो
I
गति में
नियंत्र६-मनुष्य हरेक में १-१-१-१ के भंग को० नं० १७-१८ देखो
१
हरेक में
I
१
5
उपयोग १ भंग को० नं० १६ देखी को० नं० १६ देखो कुपधि ज्ञान चटाकर
(5)
1
१ भंग १ उपयोग ३-४-३-६-७-३-६-६ के भंग क० नं० १७ देखी कोन० १० देखो| कोनं. १७ देखी (३) मनुष्य गति में
1
१ उपयोग १ भंग को०० १६ देखो को०मं० १६ देखो
अमय में
१ मंग को० नं० १७ देखो
१ भंग को० नं० १६ और १६ स
हरेक में दोनों में से कोई १ अवस्था
१ भंग
१ अवस्था की०नं० १७ देखी
१ भवस्था नं० १६ और १६ देखो
हरेक भंग में से कोई १ अवस्था
(१) नरक गति में ४-६ के भंग को० नं० १६ देख (२) तिर्यच गति में १ भंग १ उपयोग १ उपयोन ३-४-४-३-४-४-४-६ के मंग को० नं० १७ देखी को० नं० १७ देख को०० १८ देखी को० नं० १७ देखी
|
(३) मनुष्य गति में ४-६-४-६ के भंग को० नं० १८ देखी (४) देवमति में ४-४-६-६ के मंग को० नं० १६ देखो
१ मंग १० नं० १८ देखो
१ उपयोग
को० नं० १६ देखो को०नं १६ देखो
१ उपयोग को ० नं० १५ देखो
१ मंग १ उपयोग को० न० १६ देखो को० नं० १६ देखो