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१
चौतीस स्थान दर्शन
२१ ध्यान
५०
मार्त ध्यान ४, ध्यान ४,
याजात्रिचय १. अपायविचय १ ये १० ध्यान जानना
५४.
२२ श्राव आ० मिश्रका योग १ अहार योग १ ये २ घटाकर (५५)
१०
(१) चारों गतियों में हरेक मे -६-१० के भंग-को० नं० १६ मे १२ देखी
५९ श्री मिश्रका योग १ वं० मिथकाय याग ४ कामरणका योग १ ये ३ घटाकर (५२) (१) नरक गति में
४६-४४-४० के भंग को० नं० १६ देखी | (२) तिर्यच गति में
क
३६-३०-३६-४०-४३-५१४६४२-५०-०५-४१ भंग- को० नं० १७ के समाग जानना ( 3 ) मनुष्य गति मे
४१-४६ ४२-५०-४५-४१ के भंग-को० नं० १८ देखी (४) देवगति में
४६६ )
कोष्टक नं० ६४
४
सारे भंग १ ध्यान को० नं० १६ मे | ० नं० १६ १२ देखी से १६ देखी
सारे भंग अपने अपने स्थान के नारे मंग जानना
१ भंग सारे भंगों में से कोई ? भंग
जनना
० नं०१६ को० नं० १३
देखो
!
भारे भंग को० नं० १० देखो
१ भंग को नं० १७ देखो
गारे भंग १ भंग को० नं० १८ देखी को नं० १० देखो १ भंग को० नं० १६ देखो
मारे भंग ५०-४५-४१-४६-४४-४०४००० १६ देखी
1
के भंग को न० १६ देख
अपाय विजय धर्मध्यान टाकर (2) जानना (१) नरक मनुष्य देवगन में हरेक में ८-६ के भंग-को० नं० १६-१०-११ देखो
(२) नियंत्र गति में
=-=-E के मंग
को० नं० १७ देखो
シリ
सारं भंग
असंयम में
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१. भंग को० नं० १७ दे
को० नं० १६ से को० नं० १६१६ देखो १८- १२ देख
सारे भंग वचनयोग मनोयोग ४ प्रपन अपने स्थान काययोग १ के सारे भंग ० कव्ययोग १ व १० जानना
1
टाकर (४५)
(१) नरकगति में ४२.३० के भंग को० नं० १६ देखी (२) नियंत्र गति में सारे भंग ३७-३८-३६-४०-४३-४४ को० नं० १७ रेखा ३२-३३-३४-१५-३०-३६४३-१०-३३ के मंग
| को० नं० १७ देवी (3) मनुष्य यति से ४४-३६-३२-४३-३८-३३ के भग को० नं० १= देखी
(४) देवगति में ४३-३८-३१-४२-३७-३३
सारे भंग को० नं० २६
5
सारे भंग ० ० १८ देखी
१ ध्यान
को० न० १६ देखा की नं १६ देखी
१ ध्यान कां० नं० १७ देखो १ भंग
सारे भागों में
में कोई १ भंग
जानना
* भंग को० नं० १७ देखो
१ भंग को० नं० १८ देखो
१ मंग को० नं० १२ देवी