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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक २०६२
मनः पयंय ज्ञान में
सारे भंग । को० नं०१८ देखो
कोनं०१८ देखो
११ कषाय
संज्वलन कषाय ४, हास्या दिनोकषाय ६,
पुरुषवेद १ (११) १२ज्ञान
मनुष्य गति में ११-११-११-७-६-५-४-३-२-१-१.. के को नं. १८ देखो ₹ मनः पर्यय ज्ञान जानना
भंग
१३संयम
४
सारे भंग
१ संयम को २०१८ देखो | को० न०१८ देखो
मनुष्य यत्ति में ३-२-३-२-१-१ के भंग को० नं० १८ देखो
सामायिक १, छेदोपस्थापना १. यूक्ष्मसाप
राय , यथास्यात १ ये() १४ दर्शन
चक्षुदर्शन, चक्षुदर्शन,
अवचि दर्शन में (३) १५ लेश्या
मनुष्य गति में-३-३ के मंग को. नं०१८ देखो
सारे भंग को न०१८ देखो
सारे भंग को० नं. १८ देखो
१दर्शन को० न०१८ देतो
१लेन्या को न:१५ देखो
शुभ वेश्या
मनुष्य गति में-३-१ के भंग को नं०१८ देखो
।
१६ भव्यत्व
मनुष्य गति में-१ भव्य जानना को० नं०१८ देखो
सारे मंग
१मभ्यरत्य को० न०१८ देखो | कोन.१- देखो
मनुष्य गति में-३-२:३-२-१ के मंग को नं. १८ देखो
मनुष्य गति में-१ मंजी जानना
१७ सम्यक्त्व द्वितीयोमम सम्यस्व १, क्षामिक १, क्षयोपशम
स. १. ३ जानना १३ मंत्री
मकी १६ पाहारः
ग्राहारक २. उपयोग
ज्ञानोपयोग १. दर्शनोपयोग : ये (1)
मनुष्य गति में-१ माहारक जान।
मारे भय ४-४ के मंग जानना
|
मनुष्य गति में ४-४ के भंग-
कोन०१० के ५-७ के भंगी में से मति-श्रत अवधि ये शान घटाकर
उपयोग ४-४ के अंगों में से कोई । १ उपयोग जानना