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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं०५५
संज्वलन लोभ कषायों में
सो
१६-११-२४-१६ के हरेक २१-१७-१३-११-१३-७-४२४-२० के हरेक भंग
औष-मान-माया पे ३ में से सज्वलन क्रोध-मान
कपाय घटाकर २२-१६माया ये ३ कषाय घटाकर
८-२१-१६ के भंग २२-१०-१४-१०-८-१०-४.
जानना १-२११७ के मंग जानना
(४) देवगति में
सारे भंग १ भंग (४) देवगति में
सारे मंग
२१-२१-१६-२०-१६-१६-कोन१६ देखो | को.नं. १ २११७-२०-१६-१६ के को० नं० १९ देखो को० नं० १९ के मंग को नं०१६ के
देखो भंग को० न. १६ के
२४-२८-१-१३-१६-१६ २४-२०-२३-१४-16 के
के हरेक भग में से हरेक भंग में से संज्वलन
संग्वलन क्रोध-मान-माया क्रोध-मान-माया ये३ कषाय
पे ३ कपाय घटाकर घटाकर २१-१७-२०-२६१६ के मंग जानना
भंग जानना । १२ जान सारे मंग | १ज्ञान
सारे मंग । १जान को नं. ५४ वेडो को. नं. ५४ के समान को वं०५० देखो | को नं.४ | कोनं ५४ देखो को नं. ५४ देखो । कोने०५४
| देखो
देतो १३ संयम
१ मंग १मयम
१ भंग
१संयम मसंयम, संयमासंयम, (१) नरक-देवति में हरेक में को.नं.१६-16 को.न.९६-प्रस बम, सामायिक, सामायिक, छेदोप- १मसंयम जानना देखो
१६ देखो खेदोपस्थापना (३) स्थापना, परिहार वि० को नं०१६-११ देतो
(१) नरक-दंवगति में को.नं.१६-१९ को.नं.१६५ सूक्ष्म सांपराय ये (६)(२) तिर्वच गति में १मंग । १ संयम । हरेक में
१६ देखो १-१-१ के मंग को. नं०१७ देखो को० नं.१७१ असंथम जानना को १७ देखो
की २०१६-१६ (३) मनुष्य गति में - सारे मंग 'संयम देखो १-१-३-२-३-२-१-१ के भंग को.नं. १५ देखो को००१८ (२ तिर्यच गति में | भंग
संयम को००१८ देतो
।१-१के मंग को० नं. को.नं.१७ देतो की.नं०१७ १७ देसो
| देखो
देखो
देखो