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चौंतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं०५६
कुअवधि ज्ञान (विभंग जान में)
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१४ दर्शन
को० नं०१५ देखो । १५ लेश्या
को० नं०१ देखो ।
१ असंयम जानना को० नं. १६ मे १६ देखो
१ भंग
१दन चारों गनियों में हरेक में २-३ के भंग को नं० १६ मे १६ देखो को नं० १६ गे ११ देखी ।
को.नं. १६ मे १६ देखो (१) नरक गति में
को० नं०१५ देबो को नं १६ देखो
को०० १६ देखो (२) तिर्यंच गति में
| को० नं. १७ देखो
को० नं०१७ देखी
सारे भंग | का००१८ देखो
लेचा को००१८ देखो
को नं०१७ देखो (३) मतृप्य गति में
5- के भंग
को नं०१८ देखो (४) देवत्ति में
१-३-१ के भंग को० नं०११ देखो
लख्या को नं. ११ देखो
। को० नं. १६ देवो
१६ भव्यत्व
१ भंग कान १६ मे १६ देखो को
१भवम्बा
१ मे १६ देखो
भव्य, मभव्य
चारों गलियों में हरेक में २-१ के भंग को० नं०१६ में १६ देखो
१७ सम्यक्त्व मिथ्यात्व, मासादन, मिथ
। सारे भंग
सम्यक्त्य को नं. १६ १६ देखो को ०१६ से १६ देखो
१८ संजी
चारों गतियों में हरेक में १-१-१ के भंग कोल नं०१६ मे १६ देखो चारों गनियों में हरेक में १ मंज्ञो जानना को नं. १६ मे १६ देखो
मंजी ।
को० न० १६ १६ देखा को नं० १६ मे १६ देखो