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कोष्टक २०५६
कुअवधि ज्ञान विभंग ज्ञान) में
चौतीस स्थान दर्शन of स्थान | सामान्य ।
पर्याप्त
अपर्याश
मालाप
नाना जावों की अपेक्षा
एक जीव की अपेक्षा नाना समय में
एक जीव की अपेक्षा एक समय में
- !
सारे गुण स्थान
१ गुरण स्थान १-२-३ मुग० जानना ।
मिथ्यात्व, सासादन, मिथ ये ३ मुग. चारों मनियों में जानना
सभी पंचेन्द्रिय पर्याप्त "चारों गतियों में जानना
२ जोवसमास १
संजी पंचम्तिय गर्याप्त ३ पर्याप्ति ,
१ गुण जानना
सुचना-यहां पर | अपर्याप्त अवस्था नहीं
होना है चिभंग ज्ञान
में करण नहीं होता 2 भंग देखो का न.१ मे १६ देतो
१ भंग दो-नं. १६ मे
नं.१ला
चारों गलियों में हरेव में ६का भग को नं. १६ मे १६ देखो
कान०१ देखा
भंग को न.१ मे १६ देशो के
नं.१६ से
देखा
वारों वर्गों में हरेक में १० का भंग को भ०१६ मे १ देखो
को नं १ देखा।
चारों गलियों में हरेक में ४ का भग कोनं. १६ मे १६ देखो
भंग को० नं. १६ से १६ देखा को नं० १६ मे १६ देखा|
६ गनि
को नं १ देखी
बागं गति जानना को. नं०१६ मे १६ तखा
गनि
१ गान | कोल न. १ १६ देयो की नं. १६१६ देना जानि
जानि को० न०१६म १६ देखा' को नं. १ मे १६सा.
७न्द्रिय जाति १ पंचेन्द्रिय जाति जानना
रागें गतियों म हरेक में १ मंजी पंचेन्द्रिय जानना को 10:६ मे १९ देखो