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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं० ५३
प्रत्याख्यान ४ कषायों में
। देखो
(४) देवनि में
सारे भंग । | (४) देवगति में मारे मंग. १ वेदन २-१-१ के भंग
२-१-१ के भंग को नं. १६ देखो! कोन०१६ को नं०११ देखो
को० नं०१देखो
देखो ११ कषाव
२२ सारे मंग १ भंग |
| मारे भंग १ मंग अनन्तानुबंषी कषाय ४ (१) नरक
हो' को
(१) नरक गनि में को.नं. १६ देखो कोन०१६ अप्रत्याख्यान कषाय ४ | २०-१६ के मंग कोः ।
२०.१६ के भंग
देखो प्रत्याख्यान पाय जिस नं०१६ के २३-१६ के
को. नं०१६ के ३का विचार करो ओ१ हरेक भंग में से अप्रत्या
के हरेक भंग में से कपाय, संज्वलन कपाय स्थान कषाय जिसका
पर्याप्तवत् प्रत्यास्थान ४, हास्यादि नव नो विवार करो प्रो एक होड़
फषाय ३ घकिर २०. कषाय ६, ये २२ कषाय | कर शेष कषाय घटाकर
1 के मंग जानना जानना २.-१६ के भंग जानना .
(२) निर्यच गति में सारे भंग | भंग (२)तियच गति में
मारे भंग भंग २०-७-२२-२२-२२-२२ को नं.१७ देखो | कोनं०१७ २२-२०-२२.२२-१-१४-२९- को० नं०१७ देसो को नं. १७ । ०१-१: के भंग को
देखो १७ के भंग को १७ के ।
दलो
नं०१७ के २५-२३-२५२५-२३-२५-२५-२१-१७-:
| २५-२३-५-२४-१६ के २४-२० के हरेक भंग में
हरेक मंग में में पर्यामवत् मे ऊपर के स्थान प्रत्याख्यान
प्रत्याख्यान कषाय ३ । कपाय ३ पटाका २२-२०.
घटाकर २२-२०-२२-२२-1 २२-२२-१०-१४.२:-१५
२०-२२-२१-१६ के भंग के मंग जानना
जामना ३) मनुष्य गति मे
मार भग . १ भंग (३) मनाप गति में । सारे भंग १ भंग २२-15-1४.१.१७ के | को. २०१८ दखो को नं.१% २२-१६.२१-१६ के भंग को न०१८ देखो। को नं. १५ भंग को० नं०१५ २५देखो को० नं०१८ के २५- ।
देखो २१-१७-२४-२०के हरेक भंग में से ऊपर के समान
भंग में में पर्याप्तवन प्रत्यारूपान कपाय ३ घटा
प्रत्याख्यान कपाय ३ कर २२-१-१४-२१-१७
घटाकर २०-१६.२१-१६ के भंग जानना
के मग जानना