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प्रत्रमाहमा-को० नं०१६ से १४ देखो। पंच प्रकृतियां-१ मे गुण में कोनसे के समान जानना । वें गुण के वं भाग में १८ प्रकृति का बन्ध जाना। उबप प्रकृतिपो- "
१वं गुणः के उन भाग में प्रकृति का उदय भानना । सत्य प्रकृतियां- "
६ गुण के इवें भाग में १०२ सपक श्रेणी की पक्षा। संख्या-मुनियों की अपेक्षा (८६.९६१०३) नक जानना । क्षेत्र-जोक का प्रसंख्यात्तवा भाग जानना। स्पन-लोक का असंख्याता भाग जामना । काल नाना जीवों की अपेक्षा सर्बकात जानना । एक जीव की अपेक्षा एक समय में प्रनतं तव एक पाय को अपेक्षा मानना । अन्तर-नाना जीबों की अपेक्षा कोई अन्तर नहीं, एक जीव की अपेक्षा अन्सनुं हतं से शोन अनुदगल परावर्तन काल तक कार लिक्षि हुई
गुण स्थान प्राम हो सके यह उपशम वेगगी की अपेक्षा जानना । भपक यंगी की रपेक्षा अन्तर नहीं है । जाति (योनि) ..८४ लाख योनि जानना । कुल-१६६ लास्त्र काटिकुल जानना ।
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