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चाँतीस स्थान दर्शन
( ३९२ ) कोष्टक नं०५४
संज्वलन क्रोध, मान, माया कषायों में
१७ सम्यक्स्व सारे मंग । १ सम्यक्त्व
सारे अंग १ सम्यक्त्व को.नं. १६ देशो]() नरक गति में
को० नं०१६ देखो कोन०१६ देखो, मिट घटाकर (५) को.नं. १६ देखो को०१६ देखो १-१-१-३-२के भंग
(२) मरक गति में को नं०१६ देखो।
१-२के मंग (२) तिर्यच गति में
१मंग सम्यक्त्व को.नं. १६ देखो को.नं. १७ देखो को०नं०१७ देखो, (२) तिथंच गति में
१ मंग १ सम्यक्त्व १-१-३ के मंग
1 १-१-१-१-२ के भंग को.नं०१७ देखो को नं०१७ देखो को० न०१७ देखो
को००१७ देखो .. (३) मनुष्य गति में - सारे भंग १ सम्यक्त्व (३) मनुष्य पति में सारे भंग १ सम्यक्त्व
१-१-१-३-३-२-३-२-१. को.नं. १५देखो को००१८ दंलो १-१-२-२-१-१-२ के भंग को मं०१८सो कोनं०१८ देखो १-२-३ के भंग
[को००१८ देखो को० नं०१८ देखो
(४) देवगति में । सारे मंगसम्यक्त्व (४) देव गति में
सारे भंग १ सम्यक्त्व १-१-३ के भंग को० नं. १६ देखो कोनं०१६ देखो 1-1-1-२-३-२ भंप को० नं०१६ देखो कोनं०१६ देखों को नं. १६ देखो
को.नं. १६ देखो १८ संजी...२
२ १ भंग १ अवस्था
१ भंग १भवस्था संझी पसंझी। (१)नरक-मनुष्य-देवगति में कोनं०१६-१-१६।कोम०१६-१८- (१) नरक-मनुष्य--देव को० नं०१६-१८-कोनं०१६-१८.
१६ देखो | पति में हरेक में
१९ देखो १ संशी जानना
१मंडी जानना को० नं० १६-१५-१६
को.नं. १६-१८-१६
देखो 1(२) तिर्वच गति में | १ भंग १ अवस्था । (२) निर्यप गति में
भंग । भवस्था १-१-१-१के भंग को० नं. १७ देखो कोनं०१७ देतो .-१-१-१-१-१के मंग को.नं. १७ देखो कोन १७ देतो को.नं. १७ देखो
को.नं. १७देखो १९ माहारक
१ मंग१अवस्था पाहारक, अनाहारक (१) नरक-देव गतियों में को.२०१६ और कोनं०१६पौर नरक-देव गति में को०१६ मौरो०१९पौर . गति में । १६ देखो १६ देखो हरेक में
१६देखो १महारक जानना
१-१के भंग कोनं. ११और १६ देखो।
कोन०१६ पौर १९ देखो
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देखो
देखो