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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं० ५३
प्रत्याख्यान ४ कषायों में
-३६-३७-४०-४८-४३-३६
| कपाय ३ घटाकर ३४२४-४७-४२-३८ के भंन
। ३५-३६.७-४०-४१-हैजानना
३०.३१-३२-३५-६-८०(३) मनुष्य गति
| सारे भंग १ भंग। ३५-३० के मंग जानना । ४८-४३-३६-४-४१-४२-को न० १८ देखो कोनं०१८ देखो (क) मनुष्य गति में सारे भंग १ भग ३८ के भंग को नं०१८
४१-३६-३०-४३-३५-३० को० नं०१८ देखो कोन०१८ देखो के ५१-४६-४२-३७-10
के भंग को नं०१८ के । ४५.४१ के हरेक मंग में से ऊपर के समान प्रत्यास्यान ।
के हरेक मंग में में पर्याकगाय घटाकर ४८-४३
वत् प्रत्यास्यान कषाय । ३९-६४-४७-४२-३८ के मन
३ घटाकर ४१-३६-३०- , जानना
४०-३५-० के मंग
जानना (४) देवगति में सार भग. .. भग ४) दवं गनि में
सारे भंग १ मंग ४५-६२-६८-४६-४१-३७- को. नं. १६ देतो को नं० ११ देखो १०. ५-३ -२६-३४-३०-को० नं० १६ देखो कोल्नं।१६ देखो ३७ के भंग को नं० १९
२. के मंग को ०१६ के ५०-४५-४१-४६-४४
४३-३८-३३-४-३७-३४०-४० के हरेक मंग में से
३३ के हरेक मंग में मे ऊपर के समान प्रत्याख्यान
पर्याप्तवत् प्रत्याख्यान काय कपाप घटाकर ४७-४२
वे घटाकर ४०-३५-20. ३८-४६-११-३७-३७ के मंग
२६-३४-३०-३० के मंग जानना
जानना २३ भान
४२ सारे भंग १ भंग
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। सारे भंग । १ मंग उपशम-सायिक स०२. (१) नरखा गति में
को० नं. १६ दखो को.नं. १६देखो कुअवधि जान घटाचार । कृज्ञान ३, मान ३, २६-२४-२५-२६-२७ के भंग दर्शन ३, लब्धि ५, को० नं०१६ देशो
| (१) नरकगति में कोनं.१ देखो कोन०१६ देखो वेदक सम्बनत्व १, गति (२) निर्यच गति में
सारे भंग १ मंग , २५-७ के भग ४, कषाय ४, लिग ३.२४-२५.२७-३१-२६-३०-३२-२६- को० नं०१७ देखो कोम १७ देखी को नं.१६ देखा लेण्या ६, मिध्या