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चो स्थान दर्शन
↑
७ इन्द्रिय जाति
२
को० नं० १ देखी
काय
को० नं० १ देखों
६ योग
१५.
को० नं० ५१ देखो
५
(१) नरक-मनुष्य-देवगति में हरेक में
१ पंचेन्द्रिय जाति जानना को० नं० १९-१०-११ देखो (२) नियच गति में
५-१-१ के भंग को० नं० १७ देखो
(१) नाक-ननुष्यदेवयति में हरेक में
१ त्रगकाय जानना को० नं० १६ १६ १६ देखो (२) नियंच गति में
६-११ के भंग को० नं० १० देखो ११
आहारक मिथकाय योग १. औ० मिश्रकाय योग १, वं मिश्रकार्य योग १. कामकाय मांग १, ये ४ घटकर (११) (१) नरकगति-देवगति में हरेक में
६ का मंग को नं १६१६ देखो
(२) नियंच गति में
( ३८७ ) कोष्टक नं० ५.४
१ जानि [को० नं० १६-१८० १६ देखो
१ जाति को० नं० १७ देखो
१ काय को० नं० १६.१८ १६ देखी
सारे भंग अपने अपने स्थान के सारे भंग
|
जानना
१ मंग
को० नं १६-१३ देखो
1
१ जाति
१ जाति को० नं० १७ देखो
१ मंग
६-२-१-१ के मंग को० नं० [को० नं १७ देखो १७ देख
" काय को० नं० १६ १८-१९ देखी
1.
१ काय
१ काय | को० नं० १७ देतो को० नं० १७ देखो
१ योग अपने अपने स्थान के सारे भयो कोई १ योग जानना
(१) नरक मनुष्य- देवगति में हरेक में १६सकाय जानना को० नं० १६-१०-१२ देखी (-) नियंत्र गति में ६-४-१ के को० नं० ७ देखी
Y
१ न को न० १६ देखो
५
१ जाति (१) नरक मनुष्य- देवगति को० नं० १६-१८० में हरेक मं १६ देखो १ पंचेन्द्रिय जाति जानना को नं० १६-१०-१ देखो (२) तियंच गति में ५-१ के भंग को० नं० १० देखो
१. योग को नं० १७ देखो
संज्वलन क्रोध - मान-माया कषायों में
.
!
प्रा मित्रकाय योग १. | यो मिथकाय योग १. वं. मिश्रका योग १.
१ जाति [को० नं० १७ देखी
| कारणका योग
ये ४ योग जानना
(1) नरक तियंच देवगतिः में हरेक में १-२ के भग को० नं० १६-१७-१६ देखी
(२) मनुष्य गति में १-२-१-१-२ के मंग १० नं०] १८ देखी
१ काय को० नं० १६-१८ १६ देखो
७
[को०]
|
१ कार्य १० नं० १७ देखी
पारे भंग पर्यावत जानना
1 जाति को० नं० १६१५-१६ देखो
१ भग
को० नं० १६-१७ १८ देखो
८
१ जाति को० नं० १७ देखो
१ कार्य को० नं० १६१६०४६ देखो
सारे भेंग को० नं. १५ देखो
१ काय को० नं० १७ देखो
१ योन पर्यावत जानना
१ योग को० नं० १६१७-१६ देवो
१ योग को नं० १८ देखों