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। ३७५ ) कोष्टक २०५३
चोतीस स्थान दर्शन
प्रत्याख्यान ४ कषायों में
४ प्रास.
को००
६ का मंग-कादं०१६
३ का भंग को० नं०१६ १-१ देखो
'१८-१६ देखो (तियच गति में
भंग १ भंग () नियंचति में
भंग
१ भंग ६-५-४-६ केभंग को००१७ देना। कोर न.१७ । ३-३ के भंग
का० नं०१७ देसो को० नं०१७ को.नं० १७ देखो
देखो को नं०१७ देखो
देखो १भंग १ भूग
१ भंग । १ भंग (2) नरक-मनुष्य-देवगति में [को०१६-१-को० नं०१६- (१) नरक-मनुष्य-देवगति को नं० १६-१८- | कोनं०१६. हरेक में १८-१६ देखो । म हरेक में
१८-१९ देखो का भंग को. नं.
७ का भंग को नं०१६१६-१८-१३ देखो
१८-१६ दलो (२) तिथंच गति में १भंग १ मंग (२)तियंच गति में
१ मंग १०-६-८-७-६-४-१० के को नं. १७ देखो | को० नं०१७ | ७-७-६-५-४-३-७के को० नं. १७ देखो | कोनं०१७ मंग को नं०१७ देखी। देखो | भंग को० नं०१७
देखो
१९ देखा
१मंग भंग
१ भंग । १ भंग को० नं०१देखो | (१) चारों गतियों में हरेक में 1 को नं०१६ से । बोनं १६ | चारों गलियों में हरेक में को० नं०१६ मे १६ को० न०१६ से ४ का भंग-को.नं.१६ १६ देखो में १९ देखो ४ का भंगका० नं. १६: देतो
१६ देखो से १९ देखो
। मे १६ देखो ६ ___ को नं. १ देखो । चार्ने गनि जानना को नं.१६ से 'को० नं०१६ | चारों गति जानना को नं०१६ से कोल्नं०१६ से कोलनं. १६ से १६ देखो|१६ देखो में १६ देखो को० नं १६ मे १६ देखो १६ देखी
| १६ देखो ७ इन्द्रिय जाति
जाति । जाति
५ । १ जाति । १ जाति कोन०१दखा ।(१) नरक-मनुष्य-देवगति में कोन०१६-१८- [को० न०१६- ९) नरक-मनुष्य-दबगानाका०म०१६-१८- ] को नं०१६
1१६ देखो १८-१६ देखो | में हरेक में १६ देखो १५-१६ देखो १पंचेन्द्रिय जाति जानना
१पंचेन्द्रिय जाति जाननको० न०१६-१८-१६देखो
को नं०१६-१८-१६ देखो (२) तिरंच गति में । १ जाति । १जाति (२) तिर्यंच गति में
जाति १ भंग ५-१-१ के अंग को० नं. को नं०१७ देखो | को० नं १७ | ५-१ के अंग को० नं. को नं०१७ देखो | कोनं. १७
देखो १७ देखो