________________
( ३४० ) कोष्टक नं० ४६
चौतीस स्थान दर्शन
नपुसक वेद में
|
,
। को० न०१ देखो
देखो
१८ संजी
३ संजी, श्रमजी (१) नरक-मनुष्य गति में को० नं०१६-१- को० नं. १- (१) नरक-मनुष्य गति में को० नं०१६-१८ को.नं. १६हरेक में
१८ देखो ! हरेक में
देखो
१८ देखो १ सजी जानना
१ संजी जानना को.नं०१६-१८ दलो
को० नं०१६-१८ देखा। (२) तियंच गति में १ भंग । १ अवस्था । (२) तिथंच गति में
१ भंग १अवस्था १-१-१ के मंग
को नं०१७ दरो को.नं. १७१-१-१-१-१ का भंग | को० नं०१७ देखो को० नं०१७ को.नं. १७ देखो
देखो
को नं०१७ देखो। १६पाहारक
सारे भंग । १ अवस्था याहारक, अनाहारक (१) नरक गति में
को.नं.१६ देशो को०० १६(१) नरक गतियों में को.नं०१६ देखो को नं.१६ १प्राहारक जानना
१-१ के भंग को न को० न०१६ देखो
१६ देखो (२) तिर्यच गति में
(२) तियर मति में
१ भंग
१अवस्था १-१ के भंग को० न० को नं. १७ देखो को० नं०१७ | १-१-१-१ के भंग की। नं०१७ देखो को० नं०१७ १७ देखो
को नं. १७ देखो (३) मनुष्य गति में सारे अंग १ अवस्था (३) मनुष्य गति में
सारे भंग १अवस्था १-१ के मंग को. नं. को नं. १८ देखो को० नं०१८ | १-१-१-१ के भंग को० नं०१५ देखो को० नं. १
| देखो
को.नं. १८ देखो २० उपयोग १ मंग १ उपयोग
१ भंग १ उपयोग को नं०१६ देखो (१) नरकगति में | को० नं. १६ देखो को नं. १६ देखो कुमति, कुश्रुत थे (२) ५-६-६ का भंग
(३) मरक गति में को० न० १६ देता को नं०१६ को० नं०१६ देखो
४-६ के भंग
देखो (२)तिर्यच गति में
१ भंग १ उपयोग को० नं०१६ देखो ३-४-५-६-६ के भंग | को० नं०१७ देखो को नं०१७ (२) तियन गति में
भंग १ उपयोग को००१७ देखो
| देखो |३-४-४-४-४-४ के मंग को नं.१७देखो को० नं०१७ (३) मनुष्य गति में | सारे भंग १ उपयोग । को.नं. १७ देखो
4-६-६-७-७ के भंग को०नं०१५ देलो को नं०१८ (3) मनुष्य गनि में सारे भंग १ उपयोग को.नं. १८ देखो
४ का मंग को.नं.१८ को.न०१८ देवो को० नं०१८ देखो
देशो
देखो
देखो
देखो