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गाहना- को० नं० १८ देखो। बंध प्रतियां-१२० वे गुण के भवेद भाग में कषाय , जानावरणीय ५, दर्शनावरणीय ४, अन्तरराय ५, साता वेदनीय १, उच्चगोत्र १,
यशः कौति १. ये २१ प्रबन्ध जानना । २१ १० गुगा में ऊपर के २१ में में कषाय ४ घटाकर १७ प्र. का बन्ध जानना । १११-१२-१३ गुण में शुक्न लेन्या का बन्य बानना ।
• १४व गुण में बन्ध नहीं है। वय प्रकृतियां-१३ नव गण के प्रवेद भाग में ६३ प्र. का उदय जानना की०म०१ देखा।
६० १०वं गुण. मे संग्वलन कोष-कषाय-मान-माया ये ३ घटाकर ६० प्र० का उदय जानना । ५६ ११वं गृण में सूक्ष्म लोभ घटाकर ५६ प्र० का उन्य जानना । ५७ १व गुण में नाराच पौर. वजनाराच संहनन ये रे घटाकर ५७ प्र.का उदय जानना । ४२ १३ गूरण में झानावरणीय ५, दर्शनावरणीय , मन्तराय ५ये १६ ऊपर के ५७ में से घटाकर तीर्थकर प्र.१ ओरकर
५७-१६%3D४१+१-४२ प्र०का उदब जानना ।
१२ १४वे गुरण में को० नं०१८ के समान १२ प्र० का उदय जानना । सत्य कृतियां-१०५ नवें गुण के मवेद भाग में !.५ प्र. का सत्ता जानना को नं. ६ देखो।
१०२१०वें गण. में क्रोष-घन-माया ये ३ घटाकर १०२ प्र०का सत्ता जानना। १०११२वं गुण० में सूस्म तोभ घटाकर १०१ प्र०का सत्ता जानना । ८५ १३वे गुण में जानावरसीय १, दर्शनावरणीय इ. अन्तराय ५, ये १६ घटाकर ८५ की सत्ता जानना । ८५ १४वें गुण में विचरम समय में ८५ प्र० का पोर चरम समय में ऊपर को ८५ में से ७२ प्रकृति घटाकर १३ प्र. का सत्ता
जानना को नं०१४ देखो। सच्या उपषम थेरणी को अपेक्षा-९००८६४ जागना का नं० से १५ देखो।
क्षपक श्रेणी की अपेक्षा-२०१७६१ जानना को.नं.१ से १५ देखो। क्षेत्र--सनाड़ी को अपेक्षा-लोक का प्रसंख्यातवां भाग जानना । प्रत्तर समुद्घात की अपेक्षा लोक के असंख्यात माग जानना । लोकपूर्ण समुदलात
की अपेक्षा सर्वलोक वानना ।
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