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चौंतीस स्थान दर्शन
क्र० स्थान! नामन्य ग्रालाप
१ गुण स्थान मि
२ जीव रामाम १४ को० नं० १ देखी
पर्यात
को० नं० १ देखो
1
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पर्याप्त
.
नाना जीवों को अपेक्षा
(१) चारों
3
में हरेक में
२ मिथ्यात्व सासादन ये २ गुण० जनना को० नं० १६ से १६ देखो
७ पर्याप्त अवस्था
(१) नरक-देवगति में हरेक में
१ संज्ञी पं० पर्याप्त जानमा
को० नं० १६-१६ के
जानना
(२) तियंच गति में ७-१-१ के मंग
को० नं० १७ देख
(३) मनुष्य गति में १-१ के मंग
को० नं० १५ देखो
६
(१) नरक - देवगति में
एक जीव के नाना एक जीव के एक समय में समय में
( ३५१ ) कोष्टक नं० ५.१
हरेक में ६ का भंग-को० नं० १६-१६ देखो
४
सारे गुण स्थान १ २५ गुण जानना
१ समास
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1
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१ मंग
अपने अपने स्वान मंगों में स १ मंग जानना
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१ गुर
१ ले रे मं
से कोई १
गुण०
१ समास
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! नाना जीवों की अपेक्षा
अपर्याप्त
1
१ मंग अपने अपने स्थान के गंगों में से कोई १ मंग जानना
(१) नरक में १ ले गुण ०
ही होता है । (२) शेष तीन गतियों में हरेक में
२ मिध्यात्व सासादन ये २ गुण-स्थान जानना ० ० १६ से १६ देखो
७ अपर्याप्त अवस्था (१) नरक - देवगति में
हरेक में १ संज्ञी पं० अति जीव-समास जानना
को० नं० १६-१६ देखो
(२) निर्यच गति में ० ६ १ के मंग को० नं० १७ के समान जानना (३) मनुष्य नति में १-१ के मंग-को० नं० १० देखो
श्रनन्तानुबंधी ४ कषायों में
३
(१) नरक-देवगति में हरेक में ३ का भंग को नं० १६-१९ देखी लब्धि रूप अपने अपने स्थान की ६-६.४ पर्या
१ जीव के नाना समय में
सारे गुण ० (१) नरक गति में पु०
१
(२) शेष गति में १ परे गुण जानन
१ समास
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23
१ जीव के एक समय में
१ मंग पर्याप्तवन को नं० १६-१९ देखो
८
१ गुण १ ले गुण ०
१ले २२ में से कोई १ गुण ०
१ सनास
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१ मंग पर्याप्ततत् को० नं० १६१६ देखो