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चौंतीस स्थान दर्शन
याँतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं० ५२
अप्रत्याख्यान ४ कषायों में
को.नं. १७के २५-२३
१२ के हरेक मंग में से
पर्याप्तवतु अप्रत्याख्यान भंग में उसर के समान
कषाय ३ घटाकर २२. अप्रत्याख्यान कषाय ३
२०.२२-२२-२०-२२पटाकर २२-२५-२२-२२
२१-१६ के भग १८-२१-१७ के मंग ।
जानना जानना
(३) मनुष्य गति में सारे भंग १ मंग (३) मनुष्य गति में | सारे भंग १ मंग | २२-१६-२१-१६ के भंग को.नं. १५ देखो को नं०१८ देखो
२६-१८-२१-१७ के भंग को० न०१५ देखो कोने१८ देसो को० नं.१८ के २५. को.नं १८ क २५-२१
१६-२४-१६ के हरेक २४-२० के हरेक भंग में
भंग में से पर्याप्तवत से ऊपर के समान प्रम
अप्रत्याख्यान कषाय ३ त्याख्यान कपाय: घटा
घटाकर २२-११-२१-१८ कर २२-१८-२१-१७
के भंग जानना भंग जानना
(४) देवति में
सारे भंग १ भंग (४) देव गति में
| सारे भंग । १ भंग । २१-२१-२६-३०-१६- कोनं०१६ देखो को नं०१६देखो २१-१७-२०-१६-१६ के मंग को नं. १६ देखो को नं०१९ देखो १६ के मंग को० नं०१६ २४-२५
को.न. १९ के २४. । २३.१६-१६ क हरेक भंग |
०४-१३-२३-११-१६ के में से ऊपर के समान
हरेक मंग में में पर्याप्तप्रत्यारुपान कषाय घटा
बत अप्रत्याख्यान कपाय | कर २१-१७-२३-१६-१६
३घटाकर २१.२१-१६-। के भंग जानना
२०-१६-१६ के भंग
जानना | मारे भंग १ज्ञान
सारे मंग ।।मंग (१) मरक गति में
को नं.१६ देखो कोन०१६ देखोकुपवधि शान घटाकर (५.) को० नं। १६ देखो कोन०१६ देखो -के भंग
(१) नरक गति में | कोस. १६ देखो
२-३ के घर को नं. १६ देखो
१२ शान
कुजान ३, गान३ येशान जानन