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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नम्बर ५१
अनन्तानुबन्धी ४ कषायों में
१२ जान
कुमति-कुवत. कुअवधि ज्ञान (३)
मंगों में से ऊपर के समान
हरेक अंग में से पतिअनन्तानबन्धी कवाय ३ ।
वत् अनन्तानुबन्धी कषाय घटाकर २२-२१ के भंग .
३ पटाकर २२-२१ जानना
के भंग जानना (१) देव गति में
मारे मंग १ भंग २१-२० के मंग कोनं. देखो कोनं-१६ देखो (४) देवगति में
सारे भंग १ मंग को.नं.१६ के २४३
२१-२१-२. के भंगको नं. १९ देखो 'कोन १६ देखो के हरेक भंग में में
को.नं.१ के २४- । ऊपर के समान अनन्तान
२४-२३ के हरेक मंग में उन्धी कषाय ३ घटाकर
से पर्याप्त्या प्रनन्ना२१-२० मंग जानना
नुबन्दी कषाय ३ घटाकर २१-२१.२० के मंग
जानना सारे मंग१ज्ञान
सारे मंग । १द्वान (१) नरक गति में
मो०नं १६ देखो को नं०१६ देखो कुत्ति-कुधन ये (२) को० नं० १६ देखो कोनं०१६ देखो ३ का भंग
(१) नरक गत्ति में को नं. १ देखो
२का मंग (२) नियंच गति में
१म १ जानको००६देखो २-३-३ के भंग
नं०१७ दखो को.नं.१७ देखो (२)तियं च गति में को नं०१७ देखो
-३ के भंग में
नं०१७ देखो कोनं०१७ देखो (३) माय गति में
| सारे भंग १जान को नं०१७ देखो ३३के भंग मो.नं.१ देतो कोन.१८ देखो (1) मनुषण पनि में । सारे मंग
..। शान का. नं १० देखो
| २.२ के भंग
० नं. १८ देखो कोनं० १८ देखो , (४) देवगति में
मारे भंग १ज्ञान को २०१८ देखो ३ का भंग नं. १६ देखो को२०१६ देखो (४) देवगति में
सारे भंग । १जान को न०१६ देवा
2-२ के भंग को० नं० १६ देखो | कोल्नं० १६ देखो | को० नं० १६ देखो
१३ संयम
पसंयम | चारों गतियों में हरेक में
को.नं.१६ से कोनं०१६ से चारों गलियों में हरेक में कोनं-१६ से १६ को ०१६ से | १६ देखो । १६ देखो ।
गोदेखो