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चौंतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं० ४६
नपुसक वेद में
का भंग
२१ ध्यान १३
सारे भंग १ ध्यान अपाय विचय १. सारे भंग १ध्यान को० नं०४७ देखो (१) नरक गति में
को० नं० १६ देखो कोनं०६६ देखो विपाक विचय १ और अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान ८.६-१० के मंग
मम्मान विषय १३ । सारे भंग जानता सारे के अंगों में को नं. १६ देखो
और गृथक्क बितर्क को नं०१८ देखो से कोई १ ध्यान • विचार शुक्ल ध्यान ?
कोन०१५ देखो (२) तिर्यच गति में । १भंग १ ध्यान ये ४ पटाकर (६) '८-६-१०-११ के भंगको नं०१७ देखो कोनं. १७ देखो (१) नरक गति में कोनं० १६ देखो कोनं०१६ देलो को० नं. १७ देखो
| ८-६ के भंग । (३) मनुष्व गति में
| सारे भंग १ ध्यान को० न०१६ देखो ८-१०-११-७-४-१के भंग को० नं०१ देखो को.नं०१८ देतो (२) तिथंच गति में
१ मंग १ ध्यान वो नं०१८ देखो
८ . गंग
को० नं०१७ देखो कोनं०१७ देखो को.नं. १७ देखो (३) मनुष्य गति में सारे मंग १ प्यान
का भंग
को००१८ देवो को नं० १८ देखो कोई ध्यान २२ भासद सारे भंग १ भंग
सारे मंग
१भंग ग्राहारक मिश्रकाययोग : यो मिथकाययोग १,
वचन योग ४, मनोयोग
कोनं०१८ देखो १. मा. काययोग १,। वै० मित्रकाययोग १,
प्रो. काययोग १. । स्त्री पुरुष वेद २, ये कार्मारा काययोग ,
40 काययोग११० घटाकर ५३ जानना ये ३ घटाकर (५०)
घटाकर (४३) (१) नरक गति में कोनं०१६ देखो को नं. १६ देखो (१) नरक गति में को० नं०१६ देखो कोन०१६ देखो ४६-४४-४० के मंग
४२-३३ के मंग को.नं. १६ देखो
को० नं. १६ देखो (२) तिर्वच गति में
सारे भंग १ भंग (२) नियंच गति में । सारे मंग भंग ३६-३०-३६-४० के मंगको० नं०१७ देखी की नं०१७ देखो ३७-३८-३९-४० के भंग को० नं. १७ देखो को न०१७ देखो कानं.१७देखो
| कोल नं.१७ के समान ४१-४६-४४-४०-५के मंग
जानना कोनं०१७के ४३-५१
४१-४२के भंग ४६-४२-३७ के हरेक
को० नं०१७ के ४३-४४