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( ३३. ) कोष्टक नं. ४८
चौंतीस स्थान दर्शन
स्त्री वेद में
..२ के भंग को० नं. १- देखो (२) मतृप्य गति में इ-१ के भंग का नं०१८ देखी (३) देव गनि में ३-३ के भंग
को नं०१६ दवा १६ भव्यत्व
१ भंग अवस्था | २
१ भंग १ अवस्था भव्य, अभव्य,
को. नं. ४७ देखो कोनं.४५ देखो को. नं. ४७ दंखोको० नं०४७ देखो योनं. ४७ देखो १. सम्यक्त्व ६:
भंग सम्परत्व | २
१ भंग १सम्यक्त्व को० नं०१८ देखो का नं०४३ के ममान को.नं. ४७ देन्बो कोज्नं.४७ दरो मिथ्यात्व, मासादन जानना को नं. ४७ देखो कोनं दखो सूचना-यहां भाव वंद परन्तु यहा स्त्रीवेद की
तीनों गलियों में हरेक में की अपेक्षा जानना । जगह पुसा वेद घटाना !
१-१ के भंग चाहिये
कोन नं०१७-१-१६ के समान
मिथ्यात्व, मासादन जानना १८ संज्ञी ..भंग | प्रवम्या
१ मंगअवस्था सी, अपंजी। क नं.७ के समान को नं. ४७ देखो कोनं०४७ देखो को नं.४७ के समान को० नं. ४७ देखो को नं०४७ देखो १६ आहारक | भंग १ अदस्था । २
। १ भमभवस्था अाहारतः, अनाहारका को नं. ४७ के समान को नं. ४७ देखा कोनं०४७ देखों को० नं. ४७ के समान का नं० ४७ देखो कोनं. ४७ देखो २० उपयोच १ मंग । १ उपयोग
१ भंग १ उपयोग ज्ञानोपयोग ६ (१) तियंच गति में अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान कुमति, श्रुत, प्रचक्षु द. पाप्तवत पर्याप्तवत् जानना दर्शनोपयोग
४-५-६-६-५-६-६ के भंग जानना। के भंगों में से | चनु दर्शन ये (४) । ये जानना भंग को० नं०१७ देखो :
कोई ! उपयोण | तीनों गलियों में हरक में । (२) मनुष्य नति में
जानना | ४ का भंग ५-६-६-५-६-६ के मंग
को० नं०१७-१८-१६ को० न०१८ देखो (1) दंवगति में
५-६-६ के भंग
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