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चौंतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं. ४६
नपुंसक वेद में
को नं. १६-१७-१८
को० नं०१६-१७-१८
देखो
११ कषाय २३
"सारे मंग । १ भंग
२३ सारे मंग
१ भंग स्त्री-पुरुष वेद ये २ १) नरक गति में
अपने अपने स्थान अपने अपने स्थान (१) नरक गति में पर्याप्तवत् जानना । पर्याप्तवत् घटाकर २३ जानना २३-१६ के अंग के सारे भंग के सारे मंगों में | २३.१६ के भंग
को.नं०१६ । जानना कोनं.१६ देखो जानना से कोई १ भंग | को.नं. १६ देखो
कोनं. को० नं०१६ को नं० १६ (२) तिर्यच गति में
सारे मंग १ भंग । (२) तिवंच गति में सारे मग १ मंग १ले २२ गुख सम में मी०-०१७ देखो बो० नं०१७ | २३-२३-२३-२३-२३-२३ | को० नं०१७ देखने को.नं.१७ २३-२३-२३-२३ के भंग
देखो के भंग को० नं. १७
| देखो को.नं. १७ के २५-२५
| के २५-२५-२५-२५ के -२५-२५ के हरेक भंगों में
; हरेक मंगों में से स्त्रीमें स्त्री-पुरुष वेद ये २
वेद ये २ पटाकर २३ घटाकर २३ का मंग
का अंग जानना जानना
(३) मनुष्य गति में
सारे मंग | १ भंग ३रे ४थे ५वे गुणा में
२५ का मंग-को० नं. को नं०१८ देखो को.नं. १५ १९-१५ के भंग को० नं०
१८ के २५ के भंय में
देखो १० के २१-१७ के हरेक
से स्त्री-पुरुष ये २ वेद भंगों में से स्त्री-पुरुष वेद
भटाकर २३ का भंग ये २ घटाकर १-१५ के
जानना भग जानना
१६ का भंग-को० नं० (३) मनुष्य गान में
सारे भंग १ भंग १८ के समान जानना २३.१६-१५-११-११-५ के को.नं.१६ देखो मो० नं०१८ भंग को.नं.१८ के २५-| २१-१५-१२-१३-७के हरेक भंग में से स्त्री-पुरुष वेद ये २ घटाकर २३-२६१५-११-११-५के भंग जानना
देखो