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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं०४६
नपुसक वेद में
(२) तिर्यच मृत्ति में
१ भंग
भंग रूचि कप ६-५-४ :-५-४ के भंग को२०१७ देखो को० नं०१७ पर्वति भी फो.नं. १७ देखो
| देखो ४ प्रसन्ग
भंग १ भंग !
१ भंग को० नं०१ देखो न रक-मनुष्य गति में हरेक अपने अपने स्थान अपने अपन स्थान' (११ गरन-मनुष्य गति अपने अपने स्थान अपने अपने स्थान में-१० का भंग का० नं. के भंग को० न० के अंगों में कोई में हरेक
में भंग
के अंगों में से १६-१८ देखो
१६-१-देखो १भंग मानना, का भन को० नं. को नं०१६-१८ कोई भंग (२) तिबंच गति में १ भंग को नं०१६-1 १६-१८ देखो
देखो
जानना १०-६-८.७-६-४ के भंग को.नं. १७ देखो! १८-१७ देतो. (२) तिबंन गति में ।
१ भंग को० नं०१६को० नं। १७ देखो
|७-७-६-५-४-३ केभंग । को०१७ १५-१७ देखो
को० नं०१७देखो देखो ५. मना १ भंग १ मंग
१ मंग को० नं०१ देखो 11) नरक-तिर्पच गति में अपने अपने स्थान अपने अपने स्थान (१) नरक-तिर्यच गति । गर्यासवत जानना पर्याप्तपत हरेक में ४ का भंग को के भंग के ४ के मंगों में में हरेक में
जानना न०१६-१७ देखो । ४ का भंग-को ये कोई १ भंग ' ४ का भंग को न
।नं०१६-१७ देशो कां.नं.१६-१७१६-१७ देगा। (.) मनुष्य गति में सारे भंग देखो
) मनुण्य मति म
४ का भंग ४का भय ४-३-२ के भंग
को.नं०१८ देखो . भंग ४ का भंग कोन कोनं०१८ देखो
कान १८ देखो १८ देखी . इगनि | १ गति । १ गति । ३
गति | १ गत्ति नरक, निपंच, मनुष्य
हीनों गति जानना तीनों गति जानना ये ३ मति जानना ७ इन्द्रिय जाति
५ १ जाति । १जाति
१जाति को.नं.१ देखौं तिथंच गति में
अपने अपने स्थान के पने अपने स्थानः १) तिर्यच गति में को० म०१७देखो। को ५-१ के भंग
कोई जाति जानना के काई १ जानि ५ का भंग कोनं०१७ को न० १७ देखो को० नं. १७ देखो नं०१७ देखो देखो। नरक-मनुष्य गति में जाति १जानि । (२) नरक-मनुष्य गति म जानि
जाति पंचेन्द्रिय जाति जानना [को० न०१६-१८ को.२०१६-१पनेन्द्रिय जाति जानना | को 10१६-१८ को . को.नं०१६-१८ देखो देखो
को० नं०१६-१८ देखो
१५देखो
देखो
देखा