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चौंतीस स्थान दर्शन
( ३२५ ) कोष्टक नं. ४७
पुरुष वेद में
२३ का भंग को०नं१ के समान जानना २६-२७ के भंग को.नं० १८ के ३१-२६ के भंग में | से स्त्री वेद, नपुसक वेद ये २ घटाकर २६-२७ के भंग जानना २७ का मंग ऊपर के बै गुरण स्थान के २७ के भंग ।
ही यहां जानना भोगभूमि में ..२६-२४-२५-२८ के भंग 'को० नं. १० के २७-२५ -२६-२६ के हरेक भंग में रो स्त्रो वेद घटाकर २६
२४-२५-२८ के मंग जानना (३) देवगति में
स.रे भंग १ भंग २४-२२-२३-२५-२६-२४ को० नं०११ देखो तो० नं.११ २५-२८के मंग को
.देखो नं०१६ के २५-२३-२४ २६-२७-२५-२६-२६ के हरेक भंग में से स्त्री वेद १ घटाकर २४-२२-२३२५-२६-२-२५-२८ के भंग जानना २४-२२-२३-२६.२५ के . , भंग को० नं०१६ के समान जानना
! (२) मनुष्य मति में
सारे भंग
भंग २८-२६ के भंग को० नं. को नं०१८ देखो को० नं०१५ । १० के ३०-२८ के हरेक |
खो भंग में से स्त्री वेद, नपुगक वेद मे २ बटाकर २८.२६ के भंग जानना ३० का भम-को.नं.। १८ के समान जानना २७ का भंग-को० न० १८ के समान जानना भोगभूमि में २३-२१ के मंग को.नं. १० के २४-२२ के हरेक मंग में से स्थी बेद बटाकर २३-२१ के मंग जानना २५ का भंग-को. नं. । १८ के समान जानना । (6) देवगति में ।
सारे भग १ मंग २५-२३-२४-२३ के भंग | को नं०१६ देखो को.नं०१८ की नं०१६ के २६-२४.
देखो २६-२४ के हरेक भंग में से स्त्री वेद १ पटाकर २५-२३-२५-२३ का भंग जानना २८-२३-२२-०६-२६ के भंग को० न०१६ के समान जानना