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चाँतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं०४७
पुरुष वेद में
।।
।
।
। भोगभूमि में
मोगभूमि में ४१-४-४०के मा को.!
४२-३७-३२ के अंग को नं०१७ के ५०-४५-४६
नं०१७ के ४३-१८-३३ के हरेक भंग में से स्त्री
के हरेक भंग में से स्वी वेद १ घटाकर ४९-४४.
वेद १ घटाकर ४२-३७ - ४० के भंग जानना
-३२ के भंग षानना (२) मनुष्य गति में
सारे मंग १ भंग । (२) मनुष्य गति में सारे भंग १ मंग ४६-०४-४०-३५-२० के को० नं०१८ देखो कोनं०१८ देखो ४२-३७. मंग फो० को० नं०१८ देखो को.नं. १८ देखो भंग को० नं०१८ के
नं०१७के ४४-18 के ५१-४६-४२-३७-२२ के
हरेक भंग में से स्त्री हरेक भंग मै से स्त्री वेद!
नपुसक वेद ये २ घटा नपुंसक बेद ये २ घटाकर
कर ४२-३७ के भंग ४६-४४-४०-३५-२० के।
जानना भंग जानना
३३-१२ के भंग-को. २० का मंग-को० नं०१८
नं. १८ के समान के समान जानना
जानना २०-१४ मंग-कोनं०
भोगभूमि में १८ के २२-१६ के हरेक ।
४२-३७ के भंग-को मंग में से स्त्री नपुंसक
नं०१८के ४३-३८ के वे ये २ पटाकर २०-१४
हरेक मंग में से स्त्री वेद के मंग मानना
घटाकर ४२-३७के भंग २. भोगभूमि में
जानना ४६-४-४.के भंग को
३३ का भंग-को. नं
. नं.१८के ५०-१५-४१
१८ जानना हरेक मंग में से स्त्री
(३) देवगति में
मारे मंग । १ मंग वेदबहाकर ४६-४
४२-३७ के भंग-
कोकोनं० १९देखो को नं.१६ देखो ४.के अंग जानना
नं०१६ के ४३-३८ के (३) देव गति में
सारे मंग १मंग हरेक मंग में से स्त्री वेद ४१-४४.४.के मंग को० को.नं.१६ देखो कोनं०१९ देखो घटाकर ४२-३७ के नं.१६ के ५०-४५-४१ ।
भंग जानना