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( ३२२ ) कोष्टक नं.४७
चौतीस स्थान दर्शन
पुरुष वेद में
सध्यान १ मंग । १ ध्यान
१ ध्यान मात ध्यान ४, तियंच गति में
आपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान पृथक्त्व वितर्क विचार अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान रौद्र ध्यान ४,
-६-१०-११-- | भंग जानना के भंगों में से | शुक्ल ध्यान १ घटाकर | सारे मंग जानना के मंगों में से धर्म ध्यान ४, पृथक्त्व ह-१० के अंग को० नं. १७ देखो कोई ध्यान
(१२) को नं०१७ देखो कोई ध्यान वितक विचार१ये १३ को मं०१७ देखो
कोनं०१७ देखो (तियंच गति में
कोल्नं० १७ देखो ध्यान जानना (२) मनुष्य गति में
सारे मंग१ घ्यान ८-८-९ के मंग ५-६-१०-११-७-४- को० नं० १८ देखो कोनं०१८ देखो को० नं०१७ देखो १-६-१-१० के भंग
(२) मनुष्य गति में । सारे मंग १ व्यान को नं०१८ देखो
८-६-७-7-6 के भंगको० नं० १८ देखो कोनं०१८ देखो ।।३) देवमां ने
सारे
१ म्यान को न०१८ देखो । ८-९-१० के मंग को० न० १६ देखो कोनं० १९ देखो (३) देव गति में। १मंग
१ ध्यान को. नं० १९ देखो
५-६ के भंग
को० नं. १६ देसो कोनं० १९ देखो २२ प्रासव
सारे मंग १मंग को० नं० १९ देखो स्त्री वेद, नपुरक वेद मौ० मिथकाययोप १, अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान
१ मंगभंग ये २ घटाकर शेष वै० मिश्रकाययोग १,
सारे भंग जानना के अंगों में से | मिथ्यात्व ५, अविरत अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान मा. मित्रकामयोग से,
कोई १ भंग | १२, कषाय २३, (स्त्री | सारे भंग जानना । के मंगों में से कामगि काययोष, जानना वेद नपुंसक वेद ये २
कोई १ मंग मे ४ पटाकर शेष (५१)
| घटाकर)
जानना (२) तिथंच गति में
सारे मंग १मंग मौ० मिथकाययोग १, ४१का भंग को.नं०१७को० म०१७ देखो कोनं०१७ देखो पं० मिनमाययोग. के ४३ के मंग में से स्त्री
पाहारक मिथकाययोग १, वेद, नपुंसक वेद में २
कामार काययोग १ घटाकर ४१ का मंग
ये ४ भाषव जामना जानमा
(१) तिथंच गति में सारे भंग । १ मंग ४६-४४-४०-३५ के अंग।
४१-४२-३६-३७ के भंग को० नं०१७ देखो कोनं०१७ देखो को० नं०१७ के १- ।
को नं०१७के ४३-४४४६-४२-३७ के हरेक मंग,
३८-३६ के हरेक भंग में भंग में से स्त्री-नपुंसक वेद |
से स्त्री वैद नपुसक वेद ये २ घटाकर ४९-४४
ये २ घटाकर ४१-४२४०-३५ के भंग जानना ।
३६-३७ के मंग जानना