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चौंतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं. ४७
पुरुष वेद में
।
काय
त्रसकाय
सकाय
|
१त्रमकाय
तीनों गतियों में हरेक में | १बसकाय जानना
१सकाय
सकाय | | तीनों गतियों में
हरेक में १ सकाय जानना को० नं०१७-१८-१६
देखो
योगानं० २६ देखो।
१ भंग | १ योग
१ मंग १ योग पौ. मित्रकाययोग १, अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान प्रौ० मिथ काययोग १, । पर्यापवत जानमा पर्याप्तवत् जानमा 2. मिश्रकाययोग १, मंग जानना के भंगों में से | 0 मित्रकाययोग १, मा०मिश्रकाययोग १,
कोई १ योग | प्रा. मिश्रकाययोग १, कार्माण काययोग,
कामाण कापयोग १, ये ४ घटाकर (१)
ये ४ योग जानना (१) तिपंच गति में
मंग
१ योग !(१)तियंच गति में। १मंग । १योग ९-२-१ के अंग को.नं. १७ देखो को०नं०१७ देखो १-२-२ के भंग को नं० १७ देखो | कोन०१७ को. नं०१७ देखो
को.नं. १७ देली
| देखो (२) मनुष्य गति में
सारे भंग
योग (२) मनुष्य गति में सारे भग १ योग --- के भंगको .नं. १८ देखो कोनं०१८ देखो १-२-१-१-२के भंग को.नं.१८ देखो को नं०१८ देखो को.नं.१८ देखो
| कोनं०१५ देखो (३) देवमति में
१ भंग १ योग (३) देव गति में
१अंग
योग ६ का भंग
को.नं०१६ देखो को नं. १६ देखो १-२ के मंग को.नं. १६ देखो कोनं० १६ देखो को.नं. १६ देखो
को.नं०११ देखो
१०वेद
पुरुष वेद
११ कवाय स्त्रीनपुसक वेद ये २ षटाकर (२३)
।
बन
तीनों गतियों में हरेक में
तीनों गतियों में हरेक में १ पुरुष वेद जानना
१ पुरुष वेद जानना २३
सारे मंगअपने अपने स्थान २३ । - सारे भंग १ मंग (१) तिर्यंच गति में घपने अपने स्थान के के भंगों में से | (१) तिथंच गति में अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान
२३-२३-२३-१९-१५ के सारे मंग जानना कोई मंग | २३-२३-२३-२३ के सारे मंग जानना के अंगों में से भंग कोनं०१७ के २५-को० नं०१७ देखो जानना हरेक भंग में से स्त्री वेद को.नं.१७ देखो | कोई १मंग २५-२५-२१-१७ के हरेक को० नं.१७ नपुसक वेद ये २ घटाकर
जानना को नं. १७ देखो