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चौंतीस स्थान दर्शन
( २६८ ) कोष्टक नं०३८
असत्य वचनयोग या उभय वचनयोग में
६-७-८
को० नं० २६ के समान भंग जानना
भगों में से कोई एक भंग
१७ सा व
को नं. २६ देखो
।
चारों गतियों में हरेक में को. २०२६ के तमान भंग जानना
सारे भंग जपने अपने स्थान के सारे भंग जानना
मंनों में से कोई प्रवस्था जानना
१ सम्यक्त्व अपने अपने स्थान के भंगों में से कोई१ सम्यक्त्व जानना
प्रदस्था को० नं० २६ देखो
। । ।
१८ संकी
' को० नं. २६ देखो
धागे मतियों में हरेक में को० नं. २६ के समान भंग जानना
।
।
१६ प्रासारक
याहारक
१यवस्था ग्राहारक प्रवस्था
२. उपयोग
को नं० २२, देखा
चामें मतियों में हरेक में १ माहारक जानना | पाहारक अवस्ता को० नं २६ के समान भंग जानना
मारे भंग चारों मनियों में हरेक में
अपने प्राने स्थान के को० नं२६ के समान मंग जानना
सारे भन जानना
२१ ध्यान
को नं. १६ नमो
चारों गतियों में हरेक में को नः ३६ के समान मंग जानना
नारे भंग अपने अपने स्थान के सरि भग जानना
१ उपयोग अपने अपने स्थाय के मार मंगों में से कोई उपग जानना
१ ध्यान अपने अपने स्थान . भंगों मे में कोई ध्यान जानना
१ भंग , अपने अपने स्थान के हरेक भंग में कोई भंग जानना
२२ पानव मिथ्यात्व ५ मदिरत १२, . (हिंसक हिस्य ६) । कपाय २५, प्रमत्य वचन- योग या उभय वचायोग । इन दोनों में से कोई प्रांग जिसका विचार करना हो दो मोग जानना ये सब ४३ मानद जानना
मारे भंग अपने अपने स्थान के मारे भंग जानना को २०१८ देखी
चारों पतियों में हरेक में मंगों का विववरण को. नं०१५ के समान भंग यहां भी जानना, परन्तु यहां सत्यमनोयोग या अनुभय मनोयोग की जगह प्रसत्य वचनयोग या उभय वपनयोग जानना