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( २२० ) कोष्टक नं०४२
चौंतीस स्थान दर्शन
वैक्रियिक काय योग में
काय
१सकाय को.नं. १६-१६ देखा का नं०१६-१६ देखी
सकाय
(१) नरक और देव गति में हरेक में १ वसकाय को० नं०१६-१६ देखो
र योग
वैक्रियिक काययोग
___ को नं १६-१६ देखा मो नं.१६-१६ दसो
(१) नरक और देवमति में हरेक में १ बैंक्रिरिक काम योग जानना कोः नं. १६-१६ देखो
१० वेद .
को.नं०१ देखो।
(१) नरक गति में है का भंग को.नं०१६ देखो (२) दवगति में २-१- के भंग को० नं०१६ देखो
सारे भंग
१बंद : नपुंसक वेद को न या । को. नं०१६ देखी।
सारे मंग को २०१६ देखो का नं.१ देखो
सारे भंग कॉ० न०१६-१९ देखो का नं.१६-१६ देखो
११ कषाय
को० म०१ देखो
(१) नरक गति में २-३-१- के भंग करे नं०१६ देखी (२) देव गति में २१-१४-११-२३-१२-१६ के भंग को० नं० १६ देखा
१२ ज्ञान
को० नं १ देखो
(१) नरक गनि में ३-2 के भंग को नं. १६देखो (२) देव गति में ३-३ के भग को० न० १६ देखो
सारे भंग
जान को.नं. १६ देलो को० नं०१६ देखो
सारे भंग को न०१६ देखो । कोनं० १६ देखो
१३ संयम
प्रसंयम
(१) नरक और देवगति में हरेक में १ अमंयम जानना को नं. १६-१६ देखो
०१६-१६ देखो, को.नं-१६-१६ दस्तो
१४ दर्शन
१दर्शन को. नं०१५देखो
.नं०१६ देखो
( नरक गति में २-३ के भंन को० १६ देखो
को० नं०१६ देखो