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पक्माहना-एक हाय से ५०० धनुष तक जानना । सर्वार्थसिद्धि में एक हाय और वे नरक में ५०० धनुष अवगाहना जानना। नंच प्रकृति-१०४ बंध योग्य १२. प्र. में से नरकटिक २, नरकायु १, देवदिवा २ दवायु १, वैक्रियिक कि , साधारण १, यूक्ष्म १,
स्थाबर १, बिकलत्रक ३, प्राहारकद्धिक २ ये १६ घटाकर १०४ बंध प्रकृतियों जानना। बम प्रकृतिपा-६ ज्ञानावरणीय ५, दर्शनावरणीय ६ (३ महानिद्रा घटाकर), वेदनीय २, मोहनीव २८, नरकायु, देवायु १, नरक गति ।।
देवगति १, पंचेन्द्रिय जाति १, व क्रियिकद्धिक २, तेजस १, कार्माण १. हुंडक संस्थान १, समचतुश्नवसंस्थान, स्पादि ४, प्रगुरुलघु १. उपधात १, परवात १, श्वासोच्छवास १, विहायोपत्ति २, शुभ प्रकृति १०. (प्रत्येक बादर श्रम, पयांत, सुभग, स्थिर, शुभ, मुस्वर, पाय, पशः कोर्ति ये १० जादना) अशुभ प्रकृति ६ (दुभंग, अस्थिर, अशुभ, दुःस्वर, अनादय, अयक्षः कौति
६जानना) निर्माण १, गोव २, अन्तराय ५, ये ८६ प्र० का उदय जानना। सूचना-१० शुभ प्रकृतियों का उदय देवगति में ही होता है और ६ अशुभ प्रकृत्तियों का उदर नरक गति में ही होता है । शेष अशुभ
प्रकृतियों (साधारण, सूक्ष्म, स्थायर, का उदय एकेन्द्रिय तिर्वच गति में ही होता है मौर ४था अपर्याप्त प्रशुभ प्रकृति का उदय
लब्ध्य पर्याप्तक (तिर्यच) जीवो में ही होता है और ये जीव मनुष्य पोर तिथंचों में पाये जाते है। सत्व प्रकृतियां-को० नं० २६ के समान जानना। संख्या असंख्यात जानना। क्षेत्रलोक का मसंख्यातवां भाग प्रमाण जानना । स्पर्शन-लोक का प्रसंख्यातवां भाग अर्थात् १६ स्वर्ग का देव किसी मित्र को संबोधन के लिये ३रे नरक तक जाता है इस अपेक्षा से १६वें
स्वर्ग से मध्य लोक ६ राजु नीचा है मौर मध्य लोक से तौमरा नरक २ राज नीचा है ये राज लोक का प्रसंख्यातवां भाग जानना और सर्वार्थ सिद्धि के महमीन्द्र देवों में ७ नरक तक जाने की शक्ति है, परन्तु वे जाते नहीं इसलिये यहां शक्ति को अपेक्षा से १३ राजु स्पर्शन बतलाया गया है। (जसे सर्वासिद्धि से मध्य लोक ७ राजु नीचा है और मध्यलोक से ७वां नरक
६ राजु नीचा है, ये १३ राजु जानना) कास-नाना जीवों की अपेक्षा सर्वकाल जानना । एक जीव की अपेक्षा एक समय से अन्तर्मुहुर्त काल तक जानना । अन्तर-नाना जीवों की अपेक्षा अन्तर कोई नहीं, एक जीन की अपेक्षा एक समय ने असंख्यात पुद्गल परावर्तन काल तक वक्रियिक काययोग
न धारण कर सके। माति (योनि)-लाख योनि जानना । (नरक गति ४ सास, दच गति ४ नाव ये ८ लाख जानना)। फुल-५१ लाख कोटिकुल पानना । (नरक गति २५, देवगनि २६ मे ५१ नास कोटिकत जानना)।
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