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चौंतीस स्थान दर्शन
( २९७ ) अलका
३
वैक्रियिक मिश्रकाय योग में
२२ प्रायव
मिथ्यात्व ५, अविरत १२, (हिसकविषय के+हिस्य)
कंधाय २५.46 मिश्रकाय योग' ये ४३ जानना
सारे मंग (१) नरक गति में
। को० नं. १६ दैलो | को० नं०१६ देखो ४१-३२ के भंग-को०१६ के ४२-३३ के। हरेक भंग में से कार्माणकाय योग १ घटाकर ४१-30 के मंग जानना (२) देवगति में
- सारे भंग
१ मंग ४२-२७-३२-४१-३६-३-३२ के भंग-को० । कान०१९ देखो | को.नं. १९ देखी नं०१६ के ४३-३५-३३-४२-३७-३२-३३ के । हरेक भंग में से कार्मारणकाय योग १ घटाकर ४२-३३-३२-४१-३६-३२-३२ के भंग दानना ।
सारे भंग को० नं०१६ देखो
१ भंग कोनं०१६ देखो
२३ भाव को० न० ४२ के ३६ के भावों में से कुप्रथपि ज्ञान घटाकर ३८ भाव जानना
(१) नरक गति में २५-२७ के भंग-को००१६ देखो
(२) देवगति में २६-२४.०-२६-२४.२८-२३-२१-२६-२६ के मंग-को० नं०१६ के समान जानना
सारे भंग को.नं. १६ देसो
१ भंग । फो.नं.१६ देखो