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(२८१ ) अवगाहना-घनांगुल के पसंख्यात्तवे भाग से एक हजार (१०००) योजन त जानगा। बंध प्रकृतिया-कोनं० २६ के समान बानना। उदय प्रकृतियां-१०१ उदययोम्म १२२ प्र. में ने नरकटिक २, नरकायु, देवनिक २, देवायु, वैफियिक टिक २, मौ० मिचकाययोग,
प्राहारकद्विक २, कामांण काययोग १, अपर्याप्त १.१३ घटाकर १०६ प्र. का उदय जानना । सस्व प्रकृतियां-को न०१६ के समान जानना। संख्या-मनन्नानन्त जानना । वोत्र--मलोक जानना। स्पर्शन -सर्वलोक जानना । काल-नाना जीवों की अपेक्षा सर्वकाल जानना । एक जीव की अपेक्षा एक समय में अन्तमहतं काल कम २२ हजार वर्षे सक जानना। अन्तर-नाना जीवों की अपेक्षा कोई अन्नर नहीं। एकजीव की अपेक्षा एक समय से २३ सागर नव मन्तम त २ समय तक मोबारिक काययाण
नहीं धारण करता। जाति (योनि)-७६ लाख योनि जानना (नरवा ४ लास, देव ४ लास, ये र लास्व घटाकर ७६ लाख मानना) को नं. २६ देखो। कूल-१४८11 लाख कोटिन जानना । (नारकी २५, द व २६, लास कोटिङ्गम ये५. लग्य कोटिकूल घटाकर १४11 लाच काटा
जानना को नं. १६ देवो)।
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माना तर जात
मा कानुन वावर वा कुना कर १.२५ देवको मन्दुिल