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१६ मन्यत्व
१८ संजी
चौंतीस स्थान दर्शन
१६ आहारक
भव्य,
१७ सम्यचत्व
'मिथ्यात्व सासादन, शाविक, क्षयोपशम ये ४ सम्यक्त्व जानना
२
अ भन्य
मंजी, घसंज्ञो
आहारक, अनाहारक
२० उपयोग १० कुमवधि, मनः पर्यय ज्ञान वे २ बटाकर (१०)
३-४-५
( २८५ ) कोट० ४१
२
(१) तिर्यच गति में ८१--१ के मंग की० नं० १७ देख (२) मनुष्यगति में
२-१-२-१ के भंग को० नं० १८ देखी
४
(१) नियंत्र गति में
१-१-१-१-२ के भंग को० नं० १७ देखो
(२) मनुष्य गति में १-१-२-१-१-१-२ के भंग को० नं० १८ देखो
२
(१) तिथेच गति में
१-१-१-१-१-१ के को० नं० १७ देखा
(२) मनुष्य गति में
१-०-१ के भंग फो० नं० १८ देखो
(१) तिच गति में
-१--१ के मंग को० नं० १० देखो
(२) मनुष्य गति में १-१-१-१-१-१ के भंग को० नं० १८ देख
१० (१) नियंत्र गति में
४४-३-४-४-४-६ के गं को० नं० १७ के समान जानना (२) मनुष्य गति में ४-६-२४-६ के मंग को० नं० १८ देखो
श्रदारिक मिश्रकाय योग में
१ भंग
को० नं० १७ देखी
मारे भंग को० नं० १ देवां १ भग को० नं० १७ देखी
सारे भंग को० नं० १८ देखी १ भंग को० नं० १७ देवो
सारे भंग को० नं० १८ देखो ? भंग को० नं० १७ देखी
सारे भंग को० नं० १८ देखो
१ भंग
को० नं० १७ देखो
सारे भंग को० नं० १= देखो
१ अवस्था बो० नं० १७ देखी
१ अवस्था
को० नं० १ देखो १. सभ्य रत्व
को० नं० १० देखो
१ सम्यक्त्व को० नं० १८ देखी
१ अवस्था को० नं० १७ देखी
१ यवस्था को० नं० १८ देखो १ अवस्था को० नं० १७ देखो
१ अवस्था को० नं०
देखो
१ उपयोग को० नं० १७ देखी
१ उपयोग को० नं० १८ देखो