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१
ती स्थान दर्शन
सूचना २ (म) भवनको
१६ भव्यत्व भव्य, प्रभव्य
१७ सम्यवत्व
ईशान्य स्वर्ग के देव
अवस्था में असंगत नियंत्रों में जन्य कार्यात एल गुन्ग में मरकर नियंत्र गति में जन्म लेने
सूचना नरक मौर देवगति में देदक सम्यक्त्व उत्पन्न होने से पहले अगर
भांग भूमि में जन्म ने भकते है (देख० ० ५४६)
सुचना ४ मानुषानर पर्वत के आगे कर स्वयं प्रभावन के पहले जो असख्यात द्वीप है वे भी सब तिन जघन्य भांग भूमियां कहलाते है ।
को० नं० १६ देखी
३
I
२
२-१-२-१ के भंग (१) कर्म भूमि में
गुगा में
२ का भंग भव्य प्रभव्य
२ का भंग भव्य, अभव्य
से जानना २-३-८ गुग्ग एक भव्य ही जानना
में
S
( १०० ) कोष्टक नंबर १७
!
गुग्ण मैं मरकर याने
१-१-१-२-१-१-१-१ के भंग
जानना
(१) कर्म भूमि में
श्
गुरष में १ मिथ्यात्व
6
चे
१ भंग
शले गुरु में २ का मंग
घ्या ही रहती है (ब)
वाले जीवों के
१ ले गु० में २ का भंग
ሃ
-
२ ान २-३-४-५ गुण ० [0 में एक भव्य | २-३-४-५ गुर० मे १ भव्य जानना हो जानना (२) भोग भूमि में
९ भव्य जानना
१ सम्म मे
२.३.४ सुरण
१ भव्य जानना १ भंग
१ मिथ्यात्व
वाने जीव भांग भूमि में अपर्याप्त (निवृत्य पर्याप्तक) समरकुमार स्वर्ग मे १२ स्वर्ग तक के मिथ्या दृष्टि देव पर्याप्त अवस्था में मध्यम यांनाही ही है।
नियंच प्रायु वब चुकी हो तो ४ गुणा में मरकर आने वाले जीव
१ अवस्था
२ में से कोई
१ अवस्था
२ में से कोई १ अवस्था
में ? भव्य जानना
! १ सम्यवाच
|
१ मिध्यात्व
तियंच गति
,
२-१-२-१ के भंग (१) कर्म भूमि में
भूल गुगा में
२ का भंग पर्याप्तत्रत २२ गुण में १ भव्य जानना (२) भोग भूमि में १ ले गुण ० मं का भंग पर्यासवन २४ गुगा में १. भव्य जानना
मिश्र १, उपशम म० १
घटाकर (४) १-१-१-१-२ के भंग (१) कर्म भूमि में
१ भंग
१
गु० में २ का भग २ गुण में
१ भव्य जानना
१. गुग्छ मे २ का मंग २४थे गुरण में १ भव्य जानना
E
१ भग
१ अवस्था
२. में से कोई
१ अवस्था
१ भव्य
जानना
में से कोई
१ अवस्था
१ भव्य जानना
१ सम्यवत्व