________________
चौतीस स्थान दर्शन
कोषक नम्बर
तियच मति
ले गगा में
गुगण में में तक २३ का भग कम भूमि के
नक के के भगों में में पर्याप्ति के के भंगो में भंग का नं०१८ कोई १ भंग म बननांग ४. गनायोग ममान जानना जामना ४. या काययोग १, श्री नगुगक २.ग ११ घटाकर शेप ३१ में कार्माग्ग कायर्यांग १
मो. मिश्र कायागर
गजोड़कर ३३ का २३ भाषद
भग जानना उपशम-साधिक
8 सारे भंग १ भंग
१ भंगभग सम्यक्त्व २,फूनान ३, ४-२५-२७-३१-२६-३० अपने अपने स्थान के सारे भंगों में से उपक्षम क्षायिकस. २, अपने अपने स्थान के सारे भंगों में में जान ३. दर्शन३, अयो-१२-२१-२५-२५-२६-२९ के सारे भंग जानना कोई १ भंग कृपवधि ज्ञान १, शुभ । सारे भाग जानना कोई भंगजानना पशमस. १, लश्चि. भंग
जानना लश्या, ६ घटाकर मयमा-संयम १. नियंत्र (१) कर्म भूमि में
ले गुग में २७ के अंगों में से (३३) गति १, कपाय ४, १ले गण में
१७का भग कोई१भंग का २४-२५-२७-२५-२२निग ३, नभ्या :
२४ का भंग
को० नं०१८ के नं०१८ देखो २३-२५-०५-२४-०२मिथ्यादान १. समयम निय, द्वान्द्रिम. वीन्द्रिय समःन जानना ।
२५ के भंग १, बजान१. प्रसिद्धरव? जीवों में कुपति-कृति जान २,
(३) कर्म भूमि में । ने गुग में ।१७ के भंगों में परिणामिक भाव ३. मंचन दर्जन १. अवीपशम
*ले गुग्ग में १ का भंग में कोई १ भंग ये ३९ जानना नब्धि, नियंन ग.१. कवाय
२४ का भंग ' को नं. १- देखो ४, नमक लिग १, अशुभ
पयांतवा जानना लेन्या :, मिथ्या दर्श। १.
२५ का भंग पर्याप्तवन अमयम १, अज्ञान .. अमि
जानन इत्व .. पारिगामिक भाव ३
२७ का ग पयःप्लवन् का भंग जानना
जानना ०५का भंग
२७ का भंग पर्याप्त के . पमंजी पंचेन्द्रिय जीवों में
३१ के भंग में से कुअवधि ऊपर के २४ के मंग में चक्षु