________________
चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक २०१८
मनुष्य गति
गुगल मे
मनक के १० मे १७नक भंगा में में कोई भंग ऊपर के कर्म भूमि भंग जानना परन्तु के ममान जानना परन्तु यहा हरेक भंग में यहा हरक अंग में स्त्री. स्त्री-पुरुष इन दो पम्प इन दो बंदों में मे वदों में में कोई कोई बंद जानना वेद जानना
र ये गुगा. मे १ १ नक के
१ मे १६ तक के मनों में में कोई भंग पर-क कर्म भूमि के अंग मानना परभू समान जानना परन्तु यहाँ हरेक भंग में यहां हरेक भंग में स्त्री- स्त्री-पुरुष पन दो पुरुष इन दा वेदों में से देदों में से कॉई। काई १ वन जानना वेद जानना
-
मुचना-यहां हिंसक के विषय को हरेक भंग में एक ही गिना है अर्थात् हिस्यक के एक समय के भिन्न
भिन्न विषयों में में किसी एक विषय पर कषाय रूप उपयोग को ही हिसक गिना है । परन्तु१-केन्द्रिय जाति का स्पर्शन्द्रिय विषय २-ज्ञान्द्रिय जाति के पर्गन-ननेन्द्रिय विषय वे २,
-जीन्द्रिय जाति कलगन-ग्मन-यापन्द्रिय विषय ये ३, ४-चरिन्द्रिय जानि के स्पर्शन-रसन-नाग-वरिन्द्रिय विषय ये ४, ५-प्रसंजी परन्द्रिय जाति के स्पर्शन-रसन-नारा-चक्षु-कणेन्द्रिय विषय ये ५
-मंजो पन्द्रिय जाति के स्पर्शन-रसन-प्राग-चन-कर-मनइन्द्रिय विषय ये ६, पुन है अवस्थामों के विषयों में से एक समय कोई ही विषय हिंसक गिना जाता है अर्थात् किसी एक समय में किसी एक विषय पर ही कषाय F' उपयोग होता है, वह उपयांग ही हिसक गिना जाता है जिम हिमक की अपेक्षा में विचार करना हो तो उस भवस्या को हिंसक की जगह