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चौंतीस स्थान दर्शन
(२३७ ) कोष्टक नं० ३३
त्रसकायिक जीवों में
१ मंग पर्याप्तवतू जानना
२-१-१ के अंग को न०१८
(५) मोगभूमि में कसमान जानना
'२-१ के भंग को० नं. (५) भोग भूमि में
१७-१८ के समान २ का भंग को.नं. १७-१८ ।
के समान जानना ११ कषाय २५ ।
सारे मंग १ भंग
२५
सारे भंग । को० नं०१ देखो
(१) नरक गति में अपने अपने स्थान | अपने अपने । (३) नरक गति में । पर्याप्तवत् जाननाः | २३-१६ का भंग को० ० के सारे भंग जानना! स्थान के सारे २३-१६ के भंग को १६ के समान
को नं०१८ | भंगों में से नं०१६ के समान (-) तिर्यच गति में
कोई १ भंग | (२) निर्यच गति में । २५-२३-२५-२५-२१-१७ के
को.नं.१८/२५-२३-२५-२५-२३-२५ भंग को० नं०१७ के समान
देखो | के भंग को० नं०१. के जानना
समान जानना (४) मनुष्य गति में
(३) मनुष्य गति में २५-२१-१७-१३-११-१३-७-६
२५-१६-११-० के भंगको । ५.४-३-२-१-१-० के भंग को
| नं०१८ के समान जानना | नं. १८ के समान जानना
(४) देवगति में (२) देव गति में
| २४-२४-१६-२३-१६-१६ २४.२०-२३-२९-१६ के अंग को
के मंग को० नं०१६ के 'नं०१६ के समान जानना
समान जानना ! (५) भोग भूमि में
(५) भोगभूमी में | २४-२० के भंग को० नं०१७
२४.१६ के भंग को.न. १८ के समान जानना ।
१७-१८ के समान जानना | १२ज्ञान
सारे भंग १ज्ञान
। सारे मंग को००२६ देखो (१) नरक गति में | अपने अपने स्थान अपने अपने | कुमवधि जान, मनः पयंम पतिवव जानना
३-३ के भंग को नं. १६ के के सारे भंग | स्थान के सारे जान ये २ घटाकर (६)! समान जानना
जानना
भंगों में से । (१) नरकगति में (२) तिर्यंच गति में
कोई जान | २-३ के भंग को.नं. २-३-३ के भंग को नं. १७
जानना
१६ के समान के समान जानना
१जान पर्याप्तवत पानना