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चौंतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं०१५
सत्यमनोयोग या अनुभ यमनोयोग में
७ इन्द्रिय जाति
पंचेन्द्रिय जाति
८ काय
चारों मनियों में हरंक में १ पंचेन्द्रिय जाति 40 नं. १२६ दलो चारों गतियों में हरेक में १ सकाय जानना को० नं० १६ से १९ देखो
त्रसकाय
है योग सत्यमनोयोग या अनुभव मनोयोग जानना
! दो में से कोई योग !दो में से होई१ योग
चारों गतियों में हरेक में दोनों भामों में मे कोई १ योन जिसका विचार करना हो वह एक यांच जानना
.
नपुसक-स्त्री-पुरुष बेद
चागें गलियों में हरेक में फो.नं. २६ के समान भंग जानना
१ मंग | अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान के | भंगों में मे कोई भंग | भंगों में से कोई १ वेद
२५
११ कषाय
को नं०१ देखो
चारों गतियों में हरेक में को० नं.६ के रामान भंग जानना
नरेभंग अपने अपने स्थान के मारे भंग जानना कॉ० नं. १८ देखो
१ भंग अपने अपने स्थान के | मारे भंगों में से कोई भंग जानना को.नं. १- देखो
। ।
१२ज्ञान
का नं०२६ देखा
।
चारों गनियों में रंक में कान०२६क समान भंग जानना
१३ संयम
को० २६ देखो
मारे भंग अपने अपने स्थान के सारे भंग जानना
मारे भंग अपने अपने स्थान के सारे भंग जानना
चागतियों में हरेक में कोन २६ के समान भंग जानना
अपने अपने स्थान के भंगों में से कोई जान
संयम । अपने अपने स्थान के | भंगों में से कोई !
संयम
१दर्शन अपने भपने स्थान के मंगों में से कोई १ दर्शन
१६ दर्शन
को.नं. २६ देखो
चारों गतिबों में हरेक में को० नं०.२६ के समान भंग जानना
मारे भंग अपने अपने स्थान के सारे मंग जानता