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( २५६ ) कोप्टक नं०३६
चौतीस स्थान दर्शन
असत्य मनोयोग गा उभय मनोयोग
६-9-5
१ उपयोग
२० उपयोग
कंवल दर्वान, केवल दर्शन। ये २ उपयोग घटाकर
२१
सूक्ष्म पिया प्रनि पानि, | व्युपरत पिया निवनिनि । ये ३ वटाकर शेर (१४).
सारे भंग (१) नरकपति, तिर्यच गति, देवति में। अपने अपने स्थान के ' अपने अपने स्थान के । 1-5- के भंग को नं०१६-१७-१६ देखो ।
सारे भंग जानना । सारेभंगों में से कोई। (२) मनुष्य गति में
उपयोग जानना । ५-६-६-७-६-७ के मंग को.नं०१८ देखो। (३) भोग भूमि में ५-६-६ के मंग को नं. १७-१८ देखो
भार भंग
पान (१) नरकगनि, देव गति में
अपने अपने स्थान के | अपने अपने स्थान के भंगों c-i-10 के भंग कोन -१६ देखो | सारे भंग जानना । में से कोई १ ध्यान जानना (२) तियच नात म ८-१-१०-११ के भंग को० नं०१७ देखो (३) मनुष्य गनि में ८-६-१०-११-७-४-१-१ भंग को.नं. १८ के समान जानना (४) मोग भूमि -है-१० के भंग कोने०१७-१८ देखो ३
सारे भंग
१ मंग चारों मनियों में भंगों का विवरण को न. । अपने अपने स्थान के । अपने अपने स्थान के । ३५ के भंगों के समान यहां भी सब मंग. ग. भंग जानना सारे अंगों में से कोई १ भंग जानना परन्तु यहां सत्य मनोयोग पा । को. २०१८देखो
जानना चनृभय मनोयोग के जगह असत्य मनोमांग या उभय मनयोग जानना
२२ ग्रामप
४३ मिष्पाद ५, अविरत १२, (हिमक +हिस्थ । ६) कवाय २५, असत्य : मनोयोग, या उभय मनो-: योग इन दो में से कोई योग जिमका विचार करना ही नो १ योग जानना पं सब ४३ मानव जानना
२३ भाव
केवल जान, केवम दर्शन
(१) नरक गति
सारे भंग
१ भंग एपने अपने स्थान के | अपने अपने स्थान के