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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं०३६
असत्य मनोयोग या उभय मनोयोग
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६-७-८
काय
त्रसकाय
चारों गतियों में हरेक में १ त्रसकाय जानना
योग असत्य मनोयोग या उभय मनोयांग जानना
चारों गतियों में हरेक में दोनों योगों में से कोई १ योग जिसका विचार करना हो दो योग जानना
दोनों में मे कोई १ वांग ; दोनों में से कोई १ योग
जानना
१० बंद
को० नं. १ देखो
चारों गत्तियों में हरेक में को००२६ के समान भंग जानना
।
११ वपाय
को००१ देखो
२१ चागेंगतियों में हरेक में कोनं० २६ के ममान जानना
१ भंग अपने अपने स्थान के भंगों में से कोई
भंग मारे भंग प्रगनं अपने स्थान के सारे भंग जानना कोर नं०१८ देखो
सारे भंग अपने अपने स्थान के मारे भंग जानना
अपने अपने स्थान के भंगों में से कोई १ वेद जानना
१ मंग अपने अपने स्थान के सारे भगों में से कोई
१ भंग जानना
१२ज्ञान
केवल ज्ञान घटाकर शेष ७ ज्ञान जानना
अपने अपने स्थान के भंगों में से कोई.१ जा
(१) नरक, नियंत्र, देवगति में ३३ के भंग का नं. १६-१७-१६ के समान जानना (२) मनुप्च गति में 3-3-1-1-४ के भंग को० नं० १% के समान जानना (३) भोगभूमि में ३-२ केभंग का नं.१७-१८ देखो
१३ संयम
को० नं० २६ देखो
सारे भंग अपने अपने स्थान के सारे भंग जानना
चारों मतियों में हरेक में को.नं० २६ के समान भंग जानना
।
१ संयम अपने अपने स्थान के भंगों में से कोई
संयम जानना