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चौतीस स्थान दर्शन
( २६२ ) कोष्टक नं. ३७
सत्य वचन योगमें
क० स्थान पालाप
सामान्य
पर्याप्त
। अपर्याप्त
नाना जाबों की अपेक्षा
एक जीन की अपेक्षा । एक जीन की अपेक्षा नाना समय में ' एक समय में
१ गुगा स्थान १ से १३ तक के गुगण
।
चारी गतियों में १ मे १३ तक के गान अपने अपने स्थान के समान जाना
को० नं. २६ देखो। चारों गतियों में हरे में १ संनी पंचेन्द्रिय पर्याम जानना को नं० २६ देखो
सारं मुगु म्यान
१ सम्म स्थान मूचना
अपने अपने स्थान के । वहां पर प्रपति सारे गृगण स्थान जाननः गुण स्थानों में से कोई अवस्था नहीं होती
१ गुण न्धान
२ जोवसमास
संजो पंचेत्रिय पाप्त ३ पर्याप्ति
कौल नं०१६वो
१भंग ६ का मंन जानना
१ भंग का भग जानना
४प्राण
को० नं० १ देखो
वारों गतियों में हरेक में ६ का भंग को नं०१६ के समान जनना ।
१० चारों गतियों में हरेक में । १० भन को.नं. १६ से १६ देखो () मनुष्य गनि में ४ का भंग को २०१८ देखो (३) भांग भूमि में १० का भंग को०१७-१८ देखो
१ भंग अपने अपने स्थान के एक एक भंग जानना
१ मंग अपने अपने स्थान के एक एक भग जमना
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५ मंज्ञा
.. को० न० १ देखो
चागें गलियों में की.नं० २६ फ. ममान जानना
६ गति
मारे भंग
१ मंग अपने अपने मान के अपने सपने स्थान के मंगो सारे भंग जानना में से को मंग जानमा ४ में से कोई पनि ' कोई कति जानना
जानना
को.नं. १ देना
बाने गनिया जानना