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कोष्टक नं० ३७
सत्य वचनयोग में
६-3-5
चौंतीस स्थान दर्शन ___ १५ लेश्या को० नं० २६ देखो चारों गतियों में हरेक में
को.नं० २६ के समान भंग जानना
१६ भव्यत्व
मव्य, अभव्य
चारों गनियों में हरेक में को. नं० २५ के समान भंग जानना
१ भंग
लेश्या अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान के भंगों में से कोई १ भंग | मंगों में से कोई लेश्या |
जानना १ भंग
१अवस्था अपने अपने स्थान के | अपने अपने स्थान के भंगों में से कोई १ भंग | अंगों में से कोई १
अबस्था जानना ! सारे मंग
१ सम्यक्त्व । अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान के सारे भंग जानना | भंगों मै में कोई १
१७ सम्यक्त्व
को.नं० २६ देखो
चारों गतियों में हरेक में कोल नं०२६ के समान भंग जानना
१० संजी
____ संजी
चारों गलियों में हरेक में को.नं० २६ के रामान भंग जानना
भंग
१ अवस्था | अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान के : भंगों में से कोई १ मंगभंगों में से कोई
भवस्था जानना १ भंग
१अवस्था याहारक अवस्था | माहारक अवस्था जानना
१९ माहारक
__ पाहारक २० उपयोग
को० नं० २६ देखो
चारों गतियों में हरेक में को० नं० २६ के समान भंग जानना
१२ चारों गतियों में हरेक में कांनं. २६ के ममान भंग जानना
यारे भंग | अपने अपने स्थान के
मारे भंग जानना
२१ ध्यान
को००६५ देखो ।
१५ चारों गतियों में हरेक में को नं.२६ के समान भंग जानना
सारे भंग अपने अपने स्थान के सार मम जानना
१ उपयोग घग्ने अपने स्थान के : भंगों में से कोई १ । उपयोग जानना
१ध्यान अपने अपने स्थान के मंगों में में कोई १ | ध्यान जानना
१ भंग अपने अपने स्थान के
२२ मानव मिथ्यात्व ५, अविरत १२.
चारों गतियों में हरेक में
मारं भंग - अपन अपने स्थान के